ज्योतिषशास्त्र के ग्रह: गुरु

खगोलशास्त्रीय विवरण

बृहस्पति लघु ग्रहों की झुण्ड से परे है। सूर्य से इसकी दूरी 500मिलियन मील है और यह हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास 88,000 मील है जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 12 गुना है। यह सूर्य का एक चक्कर लगभग 12सालों में पूरा करता है।
बृहस्पति का उपरी भाग पूर्णतः ठोस नहीं है। इसलिए बृहस्पति की घूमने की अवधि उसके पूरे भाग में एक बराबर नहीं है। यह बहुत तेजी से घूमता है और एक चक्कर9घंटे 50 मिनट में पूरी कर लेता है। बृहस्पति के 11 उपग्रह हैं।

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पौराणिक कथा

बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। उनके पिता हैं महर्षि अंगीरा। महर्षि की पत्नी ने सनत कुमार से ज्ञान लेकर पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत शुरू किया। उनकी श्रद्धा और भक्ति देखकर भगवान खुश हुए और उनके घर में पुत्र का जन्म हुआ। यही पुत्र बुद्धि के देवता बृहस्पति हैं।
प्राचीन यूनान में बृहस्पति को यूनानी देव – जीयस का पिता माना जाता था। मिस्र वासी इसे अमोन कहते हैं। नोर्स इसे थोरी कहते हैं। बेबीलोन में इसे मेरोडेक कहा जाता है।

ज्योतिषीय महत्व:

 उत्तर कालामृत के अनुसार बृहस्पति की प्रमुख विशेषताएं-
1. ब्राह्मण 2. शिक्षक 3. गाय 4. खजाना 5. विशाल या मोटा शरीर 6. यश 7. तर्क 8. खगोल विद्या और ज्योतिष विद्या 9. पुत्र 10. पौत्र 11.बड़ा भाई 12. इन्द्र 13. बहुमूल्य रत्न 14. धर्म 15. पीला रंग 16. शारीरिक स्वास्थ्य 17. निष्पक्ष दृष्टिकोण 18. उत्तर की ओर मुख 19. मंत्र 20. पवित्र जल या धार्मिक स्थल 21. बुद्धि या ज्ञान 22. भगवान ब्रम्हा 23. सोना और बेहतरीन पुखराज 24. भगवान शिव की पूजा 25. शास्त्रीय ग्रन्थों का ज्ञान 26. वेदांत सामान्यतः यह देखा गया है कि मजबूत बृहस्पति उपर्युक्त मामलों में अच्छा होता है, वहीं बृहस्पति कमजोर हो तो इनका अभाव दिखता है।

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अन्य ज्योतिषीय बातें :

बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है। यह कर्क राशि में 5 डिग्री उच्च का तथा मकर में 5 डिग्री नीच का होता है। इसका मूल त्रिकोण राशि धनु है। बृहस्पति ज्ञान और खुशी का दाता है।
यह सौर मंडल में मंत्री की भूमिका में है। इसका रंग पीलापन लिए हुए भूरा है। बृहस्पति के इष्टदेव देवराज इंद्र हैं। यह पुल्लिंग ग्रह है। इसका तत्व आकाश है। यह ब्राह्मण वर्ण का और मुख्य रूप से सात्त्विक ग्रह है।
बृहस्पति देव का शरीर विशालकाय, आंखे शहद के रंग की और बाल भूरे हैं। ये बुद्धिमान और सभी शास्त्रों के ज्ञाता हैं। यह शरीर में मोटापा का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये खजाने वाले कमरे में पाए जाते हैं। यह एक माह की अवधि को दिखाते हैं। यह मीठे स्वाद का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पूर्व दिशा में सबल हैं। सूर्य, चन्द्र और मंगल के साथ इनका मैत्रीपूर्ण संबंध है। बुध, शुक्र के साथ इनका विरोधी संबंध है और शनि के साथ ये निष्पक्ष रहते हैं। राहू के साथ इनका संबंध मित्रवत और केतु के साथ निष्पक्ष रहता है। एक दिलचस्प बात यह है कि कोई भी ग्रह बृहस्पति को अपना विरोधी नहीं मानता जबकि बृहस्पति शुक्र और बुध को अपना शत्रु मानते हैं। ज्योतिष में बृहस्पति के अलावा किसी अन्य से निष्पक्ष लाभ नहीं मिलता। लग्न या केंद्र में बृहस्पति की उपस्थिति मात्र ही कुंडली के कई कष्टों को कम करता है।

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वैदिक ज्योतिष में ग्रह
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