ज्योतिष ज्योतिष में ग्रह और उनका क्या मतलब है? ज्योतिष में मंगल को बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है क्यु?

ज्योतिष में मंगल को बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है क्यु?

खगोलशास्त्रीय विवरण

लाल रंग का मंगल ग्रह एक आंतरिक ग्रह है। वास्तव में, पृथ्वी से सबसे समीप का भीतरी ग्रह है। सूर्य और मंगल ग्रह के बीच की दूरी लगभग14.1करोड़ मील है। मंगल ग्रह सूर्य की परिक्रमा करने में 687 दिनों का समय लेता है। मंगल ग्रह पृथ्वी से छोटा है और इसका व्यास लगभग 4, 200 मील है। यह चंद्रमा के आकार का दोगुना है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/10 है। मंगल अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने के लिए 24 घंटे 37 मिनट और 23 सेकंड का समय लेता है। मंगल ग्रह विभिन्न रुप से हमारी पृथ्वी जैसा लगता है विशेषकर उसके घुमने के समय तथा अक्ष पर उसके झुकाव, इसके कारण हमें लगता है कि यह पृथ्वी का एक उपग्रह है।

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पौराणिक कथाः

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मंगल को भूमि पुत्र के रूप में माना जाता है। उसे धरती माता का पुत्र माना जाता है। कहा जाता है कि जब पृथ्वी समुद्र में डूब गया था। उस समय भगवान विष्णु ने वारह अवतार में पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकाल कर उसे उसकी कक्षा में रखा था। माँ पृथ्वी ने आभार व्यक्त की और वरदान मांगते हुए कहा “हे भगवान मुझे आप अपना एक संतान दे दें!” इसके लिए परमेश्वर सहमत हुए। मंगल इस संघ का परिणाम है। एक अन्य कहानी के अनुसार मंगल, भगवान शिव और मां धरती के पुत्र हैं।
पश्चिमी पौराणिक कथाओं में मंगल ग्रह को युद्ध और शिकार के भगवान के रूप में माना जाता है। बाईबल में मंगल ग्रह शैतान का प्रतीक है। यह शक्ति और ऊर्जा का भगवान है। मंगल ग्रह को आकाशीय सेना का प्रमुख कमांडर माना जाता है।

ज्योतिषीय महत्व:

उत्तरा कालमित्रा के अनुसार मंगल ग्रह की कुछ विशेषताएं इस तरह हैं-
1. वीरता 2. भूमि 3. शक्ति 4. युद्ध 5. शत्रु 6.पुरातत्त्ववेत्ता 7. चौपाया 8. राजा 9. आग 10. पित्त 11.जख्म 12. ताप 13. तलवार 14. बाधाएं 15. सुब्रमण्या की पूजा 16. मांसाहारी खाना 17. स्वाद में कड़वाहट 18.रात केअंत में मजबूती19. सोना 20. आदमी 21. चरित्र 22.दर्दनाक मूत्रत्याग 23. रक्त 24. इच्छा 25. गुस्सा 26. सांप आमतौर पर यह देखा गया है कि मजबूत मंगल उपर्युक्त मामलों में अच्छा परिणाम देता है जबकि एक कमजोर मंगल इसी में दोष का प्रतिनिधित्व करता है।

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अन्य ज्योतिषीय बातें:

मंगल की दो राशियां हैं, मेष और वृश्चिक। यह मकर में 28 डिग्री उच्च का है और कर्क में 28 डिग्री नीच का होता है। इसका मूलत्रिकोण राशि मेष है। मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और यह ग्रहों के मंत्रिमंडल में मुख्य सेनापति का पद धारण करता है। उसका कद ऊँचा है और रक्त जैसा रंग है, यह कार्तिकेय का प्रतिनिधित्व करता है।यह वह लिंग है जिसके भीतर पौरुष की ज्वाला है। यह क्षत्रिय वर्ण तथा तामसिक गुण वाला है
मंगल क्रूर ग्रह है, रक्त जैसी लाल आंखें और चंचल दिमाग, मन से उदार, चिड़चिड़ा, पतली कमर और पतली काया वाला है। यह अस्थि मज्जा का प्रतिनिधित्व करता है और यह अग्नि स्थान पर रहता है। यह अहोरात्रा यानी, एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक की अवधि का प्रतिनिधित्व करता है। यह कड़वा स्वाद को प्रतीक है। यह दक्षिण दिशा में मजबूत है। यह सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति के लिए अनुकूल है और बुध और शुक्र के लिए प्रतिकूल और शनि के लिए तटस्थ है।

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वैदिक ज्योतिष में ग्रह
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