ज्योतिष ज्योतिष में ग्रह और उनका क्या मतलब है? ज्योतिषशास्त्र के ग्रह: शुक्र

ज्योतिषशास्त्र के ग्रह: शुक्र

खगोलशास्त्रीय विवरण

शुक्र पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य के अधिक निकट है। इसलिए कुछ अवसरों पर शुक्र, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। सूर्य से इसकी औसत दूरी 67 मिलियन मील है। यह बदलाव बहुत कम है क्योंकि शुक्र की कक्षा लगभग गोल है। निम्न संयोजन के समय पृथ्वी और शुक्र के बीच की दूरी सर 25 मिलियन मील होगी। शुक्र का आकर पृथ्वी के बराबर है। शुक्र का व्यास 7,600 मिलीयन मिल है जबकि पृथ्वी का 7, 900 मिलीयन मिल है। यह सूर्य का एक चक्कर 225 दिनों में पूरा करता है। शुक्र के चारों ओर का वायुमंडल घना अनोखा और आकर्षक है। शुक्र की चमक इसके वायुमंडल की परावर्तन शक्ति के कारण है। पृथ्वी के पर्यवेकक्षकों के लिए शुक्र सूर्य से 48 डिग्री से अधिक दूर नहीं है।

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पौराणिकता

शुक्राचार्य महर्षि भृगु के पुत्र हैं। वे असुरों के गुरु हैं। भगवान शिव ने केवल शुक्र को ही मृतसंजीवनी विद्या प्रदान की थी। यह ज्ञान किसी भी चीज को वापस लाने के लिए समझा जाता है यहां तक कि मौत के बाद जीवन को भी वापस ला सकते हैं।
शुक्र को प्रेम, विवाह, सौंदर्य और सुख की देवी माना जाता है। यह भगवान विष्णु की पत्नी महालक्ष्मी का एक रूप है। शुक्र यजुर्वेद और वसंत ऋतु का स्वामी है। पाश्चात्य ज्योतिष में शुक्र लूसीफर और हिब्रू के रूप में एस्त्रोरेट के नाम से जाना जाता है।

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ज्योतिषीय महत्त्व

उत्तर कालामृत के अनुसार शुक्र के निम्न अर्थ हैं-
1. अच्छे कपड़े 2. विवाह 3. आमदनी 4. नारी 5. ब्राह्मण 6. पत्नी 7. यौन जीवन का सुख 8. फूल 9. वाहन 10. चांदी 11. दक्षिण पूर्व दिशा 12. खांसी 13. राजसी प्रवृत्ति 14. मोती 15. आनंद 16. बहुत सारी महिलाओं का सामीप्य 17. सत्य बोलना 18. नृत्य 19. गौरी और लक्ष्मी की पूजा 20. जो दिन में जन्म लेते हैं उनकी माँ 21. जननेंद्रीय 22. मूत्र मार्ग 23. वीर्य 24. दोपहर बाद सबल 25. सुखद वाद्य यन्त्र 26. ललित कला में प्रवीण यह देखा गया है कि सबल शुक्र कुंडली में बहुत अच्छा परिणाम देता है। हालांकि दुर्बल शुक्र से उपर्युक्त कोई बीमारी हो सकती है।

ज्योतिषीय महत्व:

शुक्र दो राशियों वृष और तुला पर स्वामित्व रखता है। यह मीन राशी में 27 डिग्री ऊँचा है। इसका मूलत्रिकोण तुला है। शुक्र शक्ति को संचालित करता है।
सौरमंडल में शुक्र बृहस्पति के जैसे ही एक मंत्री है। यह बहुरंगी है। बृहत् पराशर होरा शास्त्र के अनुसार शुक्र शची (देवराज इन्द्र की पत्नी) का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्त्रीलिंग है। यह पंचमहाभूतों में जल का प्रतिनिधित्व करता है। यह ब्राह्मण वर्ण और राजसी गुण का है।
शुक्र आनंदपूर्ण और मनोहर है, इसकी सुन्दर आँखें हैं, यह एक कवि है, यह शांत चित्त और घुंघराले बालों वाला माना गया है। यह अम्लीय स्वाद का प्रतिनिधित्व करता है।
शुक्र, बुध और शनि के साथ मित्रता रखता है। सूर्य, चन्द्र और मंगल के साथ इसकी शत्रुता चलती है। यह बृहस्पति के प्रति निरपेक्ष रहता है।

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वैदिक ज्योतिष में ग्रह
सूर्यचंद्रमंगल
बुधशुक्रगुरु
शनिराहु और केतु
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