Neelam Gemstone: शनि का रत्न है नीलम

Neelam Gemstone: शनि का रत्न है नीलम

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नीलम
सैफायर शब्द ग्रीक के सैफायरस से आया है, जिसका अर्थ नीला पत्थर होता है।

गुणवत्ता
एसजी – 4.00 । आरआई – 1.76-1.77 । कठोरता – 9 ।

कांच की तरह चमकदार एवं हीरे के बाद दूसरा नंबर की कठोरता वाला बेहद खूबसूरत व बेश्कीमती रत्न मानवता के लिए जाना जाता है। सैफायरों में से पुखराज एवं नीलम को सर्वाधिक इस्तेमाल में लिया जाता है। नीलम समझदारी एवं राजसी गौरव को प्रदर्शित करता है। इस रत्न को सर्वोत्तम रत्नों की श्रेणी में रखा जाता है।

रंग उपलब्धता – इस रत्न का नीला रंग सबसे उत्तम है। इसके अलावा यह पीले, सुनहरे एवं नारंगी रंग में उपलब्ध है। रंगरहित किस्म के रत्न को व्हाइट सैफायर कहा जाता है।

गठन – नीलम पेग्माटाइट में पाया जाता है।

स्रोत – नीलम का खनन थाईलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में होता है जबकि नाइजीरिया से गहरा नीला पत्थर प्राप्त होता है। इसके अलावा मोंटाना यूएसए, कंबोडिया, ब्राजील, कीनिया, मालवी एवं कोलंबिया में भी नीलम उत्पादन होता है।

प्राचीन और मध्ययुगीन काल के दौरान नीलम को उम्मीद एवं विश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जाता था एवं मान्यता थी कि इसको पहनने से भाग्योदय होने के साथ साथ अध्यात्म भाव भी प्रफुल्लित होता है। यह रत्न सत्ता एवं ताकत का प्रतिनिधितत्व करता है, हालांकि, इसको पहनने से दयालुता एवं निष्पक्षता की भावना भी उत्पन्न होती है।

यूनानी विद्या के अनुसार नीलम को ज्ञान के लिए धारण किया जाता था, हालांकि बौद्घ के अनुसार नीलम भक्तिभाव एवं अध्यात्म को प्रोत्साहन प्रदान करता है। हिंदू इस रत्न को महान रत्नों में से एक मानते हैं एवं मंदिरों में प्रसाद के रूप में अर्पित करने में विश्वास करते हैं, ताकि ज्योतिषीय प्रभावी संतुलन बना रहे। हालांकि, ईसाई धर्म में इसको चर्च संबंधित रिंग में इसतेमाल किया जाता था एवं राजा इसका अपनी शक्तियों की सुरक्षा के लिए स्थापना करवाते थे।

ज्योतिषीय महत्व राशि – मकर । ग्रह – शनि । दिन – शनिवार

फायदे – नीलम को धारण करने के निम्नलिखित फायदे हैं।

  • इसको धारण करने से ज्ञान, निष्ठा, अनुशासन, विनम्रता के माध्यम से आध्यात्मिक उपलब्धि, धैर्य, समर्पण और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
  • नेतृत्व करने की क्षमता को बल मिलता है।
  • लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है।
  • नीलम लकवा, दमा, दांतों एवं हड्डियों की समस्या आदि से धारण करने वाले को राहत प्रदान करता है।

यदि आपको पता है कि नीलम आपके अनुकूल है या आपका जन्म रत्न नीलम है तो आप इसको धारण कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि इस रत्न को हमेशा विश्वसनीय स्थल से खरीदें क्योंकि बाजार में इसकी नकल उपलब्ध है, जो देखने में तो नीलम होगा, लेकिन उसकी कार्यक्षमता नीलम की न होगी। रत्न खरीदते समय उसकी स्पष्टता, आकार एवं वजन देखना बेहद जरूरी है। अगर आप चाहें तो इस बेश्कीमती नीलम रत्न को यहां से खरीद सकते हैं, जो शत प्रतिशत प्रामाणिक है।

कथा है कि नीलम को एक समय ताबीज के रूप में धारण किया जाता था। कहते हैं कि यह शुद्घता को बरकरार रखता है, छल कपट का पता लगाता है तथा जहर, प्लेग, बुखार एवं चर्म रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसको धारण करने वाले पर काले जादू का भी अधिक असर नहीं होता है। इस रत्न से आंखों की समस्याएं दूर होती हैं एवं एकाग्रता में वृद्घि होती है। इस तरह की भी मान्यता है कि यदि इसको अधर्मी व्यक्ति धारण करता है तो इसकी सकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं।

आधुनिक युग में इस सुंदर रत्न को ज्ञान वृद्घि के लिए धारण किया जाता है। इसको धारण करने से सीखने की क्षमता बढ़ने के साथ साथ मानसिक कुशाग्रता एवं अंतर्दष्टि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो जातक अध्यात्म में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह रत्न काफी उत्तम है। इस रत्न को धारण करने से मानसिक तौर पर शांति प्राप्त होती है एवं व्यक्ति का विवेक सही दिशा में कार्य करता है। इस रत्न की मदद से तीसरे नेत्र को भी जागृत किया जा सकता है, जो अंतर्दृष्टि को विकसित करता है। नीले रंग का प्यारा सा रत्न प्रेम, प्रतिबद्घता एवं निष्ठा का प्रतीक है एवं इसको सगाई की अंगूठी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, तलाक या अलगाव की स्थिति में नीलम की आभूषण को हटाने की सलाह दी जाती है, जो जीवन साथी द्वारा प्रदान किए गए हों क्योंकि यह रत्न तनाव को उत्पन्न करने वाले कारकों को प्रोत्साहन देता है।

रोचक तथ्य – भारत में सबसे उत्तम नीलम नीलकूपी रंग का होता है, जोकि कश्मीर में पाया जाता है। इसके अलावा मध्यकालीन युग में नीलम स्वर्ग की शांति के प्रतीक में रूप में जाना जाता था। इसको पहनने से शांति एवं सुशीलता को प्रोत्साहन मिलता है।

ध्यान रहे कि हर व्यक्ति को हर रत्न अनुकूल नहीं आ सकता एवं प्रतिकूल रत्न कभी कभी प्रतिकूल नतीजे दे जाते हैं, इसलिए रत्न को धारण करने से पहले आप अपनी जन्म कुंडली का अध्ययन अवश्य करवाएं, ताकि बुरे प्रभाव का शिकार न होना पड़े। यदि आप चाहे तो ज्योतिषी से बात कीजिए सेवा का लाभ ले सकते हैं एवं अपनी जन्म कुंडली के अनुकूल रत्न को धारण कर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। इसके अलावा आप उपचारात्मक समाधान व्यक्तिगत जीवन के लिए रिपोर्ट की मदद से अन्य महत्वपूर्ण समाधानों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।