Learn Astrology कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली का ग्यारहवां भाव लाभ स्थान होकर दिन प्रतिदिन के लाभ से संबंध रखता है। वैदिक ज्योतिष में ग्यारहवें भाव को लाभ का पर्याय माना गया है। ग्यारहवें भाव का संबंध बड़े भाई बहन, इच्छाशक्ति, मांगलिक कार्य, यश, कीर्ति, कृपा, आवक, कार्य पूर्ण होने की उम्मीद, अदालती मामलों में सफलता, आर्थिक लाभ, अलंकार, चाहत, दामाद, पुत्र वधु, और अधिकारी वर्ग की मेहरबानी जैसे क्षेत्रों से होता है। कुंडली के ग्यारहवें भाव के संबंध में बहुत प्रचलित है, कि यदि यह स्थान बिगड़ जाए तो जातक को कुछ नहीं मिलता है। इस भाव के कारक गुरू हैं, गुरू के प्रभाव में चंद्रमा अधिक बेहतर नतीजे देने की संभावना रखते हैं।ग्यारहवें भाव में चंद्रमा के प्रभावों को समझने से पहले चंद्रमा के सामान्य व्यवहार और स्वभाव को जानना अधिक बेहतर रहेगा। चंद्रमा मनुष्य की मानसिक स्थिति एवं स्वस्थ्य से संबंध रखते हैं। चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव हर्षित रहने वाला ग्रह है, चंद्र मन के कारक होने के कारण मन को चंचल और गतिशील बनाए रखने का कार्य करते हैं। जब कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा मौजूद हो या गोचर कर रहे हों, तब उस भाव से मिलने वाले शुभ या अशुभ प्रभावों को प्रभावित करने का काम करते हैं। चंद्रमा का कुंडली के ग्यारहवें भाव में मौजूद रहना आपको कई मायनों में प्रभावित कर सकता है।

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सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

ग्यारहवें भाव में चंद्रमा, जातक के लक्ष्य, आकांक्षाओं, भावनाओं, संबंधों, एकजुटता, प्रेम संबंध और रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं। कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा की मौजूदगी उपरोक्त क्षेत्रों में सकारात्मक और हितकारी परिणाम देने की संभावना रखती है। हालांकि चंद्रमा की यहां मौजूदगी जातक की भावनाओं को अधिक संवेदनशील और अप्रत्याशित बनाती है। ऐसे जातक अपने परिजनों और दोस्तों का समर्थन पाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें अपने संबंधों से कुछ ज्यादा उम्मीदें होती हैं। ऐसे जातक चंद्रमा के प्रभाव में भविष्य के लिए बहुत सारे सपने, इच्छाओं और आशाओं से भरे हो सकते हैं। उन्हें अपनी प्रशंसा और महिमा मंडन में बेहद आनंद आता है। आप अपनी जन्मपत्री की सहायता से जीवन के नकारात्मक पहलुओं की जांच कर उन्हें दूर कर सकते हैं।

ग्यारहवें भाव में बैठे चंद्रमा जातक को सामुदायिक गतिविधियों और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में भागीदारी करने के लिए प्रेरित करेगा। ऐसे सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने के कारण जातक को, भावनात्मक रूप से संतुष्टि मिलने की संभावना है। लाभ स्थान पर चंद्रमा के प्रभाव में जातक उन लोगों से गहरे संबंध बनाता है, जो उसके दृष्टिकोण और आदर्शों को साझा करने का कार्य करते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो ऐसे जातक बेहद सामाजिक होते हैं, और परिवार से अलग अपने मित्रों और संबंधों के दम पर पहचान पाने की कोशिश करते हैं। कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा जातक को जीवन की ऊँचाइयों को छूने में सहायता करते हैं। वे सफलता प्राप्त करने के लिए अपने संबंधों का उपयोग करने पर विश्वास करते हैं। वे कुछ गिने चुने लोगों से ही प्रतिस्पर्धा करते हैं, और अपने आसपास के अधिकांश लोगों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं।

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नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली में अधिकांश परिस्थितियों में सकारात्मक प्रभाव देने वाले चंद्रमा, कुंडली के ग्यारहवें भाव में बहुत सारी अस्थिरताओं की ओर भी इशारा करते हैं। किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में चंद्रमा प्रतिकूल प्रभाव डालने का कार्य कर सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने जीवन में कई तरह की मुश्किल परिस्थितियों का सामना करन पड़ सकता है। जीवन के ऐसे उतार चढ़ाव आपके साथ आपके आसपास के लोगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे जातकों के पास अपने लिए निर्धारित लक्ष्य है, लेकिन वे चंद्रमा के विरोधी ग्रहों के प्रभाव में आने से उन लक्ष्यों पर अधिक समय तक बने हुए नहीं रह पाते। विरोधी ग्रहों के प्रभाव में चंद्रमा जातक के मूड में लगातार परिवर्तन करने का कार्य करते हैं, ऐसे जातक यह निश्चित नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना है? ऐसे जातकों को अपने लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें प्राप्त करने के लिए गंभीर प्रयास करने होते हैं। उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना होता है।

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कुंडली के लाभ स्थान पर चंद्रमा जातक को मानसिक रूप से बेचैन बनाने का कार्य करता है, जिससे वह एक लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते। कुछ परिस्थितियों में लोगों में अपनी जगह नहीं बना पाने के कारण उनके मन में कुछ विकृतियां पैदा हो सकती है। लिहाजा उन्हें इस संबंध में धैर्य रखने और सावधान रहने की जरूरत हो सकती है। ऐसे जातकों को अपने मूल स्वभाव में रहने की कोशिश करनी चाहिए, और बाहरी वातावरण से प्रभावित होने से बचना चाहिए। धैर्य और अपनी भावनाओं पर काबू करना ही उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा सकता है।

निष्कर्ष

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा के प्रभावों का आंकलन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है, कि ऐसे जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने संबंधों का अच्छी तरह उपयोग कर पाते है। हालांकि उन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कुछ परिस्थितियों में भावनाएं उनकी ताकत की अपेक्षा कमज़ोरी बन सकती है। उन्हें जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक करने की सलाह है, क्योंकि चीजों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें कई मायनों में नुकसान पहुंचा सकता है। जीवन के निर्धारित लक्ष्यों के प्रति गंभीर रहते हुए उन्हें अपने सकारात्मक गुणों का विस्तार करना चाहिए और अपनी नकारात्मकता को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।हालांकि वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा से संबंधित सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए उपायों का उल्लेख किया गया है। चंद्रा के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए जातक को चंद्र यंत्र की पूजा करनी चाहिए, वहीं चंद्रमा को बलवान करने के लिए चंद्र मोती धारण करना चाहिए, स्फटिक की माला अथवा दो मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। कुंडली में चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों का आभास होने पर बिना हिचकिचाए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श करें।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम