Learn Astrology कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा की महत्ता - GaneshaSpeaks

कुंडली का दूसरा भाव धन स्थान या कुटुंब स्थान के नाम से जाना जाता है। इस भाव का सीधा संबंध धन, अचल चल संपत्ति, कुटुंब, पत्नी, पति, मां, बाप, बहन, भाई, वाणी, दाहिनी आँख, वंश, धन का संग्रह, दाँत, सोना, मणि, रत्न, लाभ हानि, महत्वाकांक्षा और विरासत संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। चंद्रमा का कुंडली के दूसरे भाव में बैठना, उसे इस भाव के प्रभावों को प्रभावित करने की क्षमता प्रदान करता है, लेकिन चंद्रमा या कोई अन्य ग्रह भी कुछ सिद्धांतों के आधार पर ही जातक पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ग्रहों की आचार संहिता का निरूपण वैदिक ज्योतिष के रूप में हमें प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में हमें चंद्रमा सहित अन्य ग्रहों के स्वभाव, स्वरूप और प्रभावों का वर्णन मिलता है। चंद्रमा की तीव्र गति को पर्याय मान, वैदिक ज्योतिष में इसे काल पुरूष के मन का प्रतीक माना गया है। काल पुरूष का सामान्य अर्थ मनुष्य या सजीवन से है। चंद्रमा को ग्रहों की रानी भी कहा जाता है, चंद्रमा मनुष्य की मानसिक स्थिति एवं स्वस्थ्य से संबंध रखता है। चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव हर्षित रहने वाला ग्रह है, चंद्र मन का कारक होने के कारण मन को चंचल और गतिशील बनाए रखने का कार्य करता है। जब कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र मौजूद हो या गोचर कर रहा हो तब उस भाव से मिलने वाले लाभ या हानि को प्रभावित करने लगता है।

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कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा

कुंडली के दूसरे भाव का संबंध धन संपत्ति से होता है, और चंद्रमा की इस भाव में मौजूदगी आपको आर्थिक तौर पर मजबूत करेगी, लेकिन उसमें उतार चढ़ाव भी देखने को मिलेंगे। कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी, अन्य ग्रहों की स्थिति से भी प्रभावित हो सकती है। यदि चंद्रमा किसी दूषित ग्रह के प्रभाव में है, तो आपको वित्तीय प्रबंध में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यदि चंद्रमा को किसी ग्रह से सकारात्मक समर्थन मिल रहा है, तो यह आपको आर्थिक तौर पर मजबूत करने का काम सकता है। यदि आपके जीवन में भी चल रही है कोई आर्थिक समस्या? तो समाधान हमारे ज्योतिषियों के पास है।

कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा, जातक को लोगों की देखरेख और चिंता करने वाला बनाता है। ऐसे जातक स्वयं को समाज सेवा और जन कल्याण के कार्यों में संलग्न पाते हैं, वे अपने कार्यों के कारण समाज में प्रतिष्ठा पाते हैं। लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल भी नहीं कि आप जनता के साथ सीधे तौर पर जुड़ने वाले हैं। हालांकि कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों में चंद्रमा की दूसरे भाव में मौजूदगी जातक को कार्य करने से अधिक दिखावा करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे जातक के काम का स्तर उनकी मनोदशा पर निर्भर करता है, यदि वे अच्छा महसूस कर रहे हैं, तो उनका बर्ताव, स्वभाव और कार्य बेहद प्रभावी और उच्च श्रेणी के होंगे, वहीं उन्हे अच्छा महसूस नहीं हो रहा तो विपरीत परिणाम मिलने की संभावना होती है।

दूसरे भाव में चंद्रमा के प्रभाव और सुझाव

कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी व्यक्ति को जीवन के प्रति खूबसूरत नज़रिया प्रदान करती है। ऐसे लोग लग्जरी चीजों के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं, और उन्हें सराहना के साथ ही अपना बनाने की भी भावना रखते हैं। ऐसे जातकों के लिए धन सिर्फ इच्छाओं की पूर्ति करने का साधन मात्र हो सकता है, वे अधिक ख़र्चीले और लापरवाह हो सकते हैं। ऐसे लोगों को भावनात्मक तौर पर अपने आसपास के लोगों से आत्म समर्थन और स्वीकृति की आस हो सकती है। दूसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को किसी भोग विलास की वस्तु पर ख़र्च करने के लिए प्रेरित कर सकती है। उस वस्तु को प्राप्त करने के लिए उसके मन में तीव्र इच्छा जाग्रत होगी, और भावनाओं में बहकर वह उसे अपना बना लेगा। लेकिन उस वस्तु की उपयोगिता उसके मूल्य से अधिक नहीं होगी।

ऐसे जातक बड़े परिवार के भरण पोषण का कार्य कर रहे होंगे, और स्वयं के लिए किसी बड़े पुरस्कार या प्रोत्साहन की उम्मीद कर सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने पुराने गलत निर्णयों पर रंज होता है, उन्हें अपने ख़र्चीले स्वभाव पर भी अफ़सोस होता है, और वे भावनात्मक उधेड़बुन में फंस कर अपने व्यय का मूल्यांकन करते हुए परेशान हो जाते हैं।

जिन जातकों की कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा मौजूद है, उन्हें अपनी इच्छाओं और जिम्मेदारियों में तालमेल बिठाने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्हें वस्तुओं के साथ ही लोगों के प्रति अपने मोह का संयम और धैर्य के साथ प्रबंधन करना चाहिए।

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निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है, कि कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी व्यक्ति के आर्थिक तौर पर मजबूत होने की ओर इशारा करती है, साथ ही वह जातक को समझदार और जिम्मेदार भी बनाती है। लेकिन किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष से उनका लगाव उन्हें भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम