Learn Astrology कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली का दसवां भाव कर्म स्थान होकर जीवन के बेहद ही अहम क्षेत्रों से संबंध रखता है। यह एक केंद्रीय भाव है, और इसका संबंध कर्म, काम, धंधा, प्रतिष्ठा, व्यवसाय, अधिकार पद, मालिक, वैभव, सौंदर्य, समृद्धि, मान, पिता, पैतृक संपत्ति, कार्य में यश, राजनीति, सरकार, सास, सर्वोच्च सत्ता, शासक पक्ष और सार्वजनिक जीवन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। वैदिक ज्योतिष में इस स्थान को मान, कर्म, व्यापार और राजनीति जैसे क्षेत्रों का पर्याय माना गया है। इस भाव से संबंधित सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है, कि कुंडली के दसवें भाव के कारक ग्रहों की संख्या चार है। इनमें सूर्य, बुध, गुरू और शनि शामिल हैं, साथ ही यदि दसवें भाव का संबंध कुंडली के छठे स्थान से बन रहा है, तो जातक के जीवन में नौकरी अहम भूमिका निभाने वाली है।यदि कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा मौजूद हो तो जातक के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? इसे जानने से पहले हमें चंद्रमा के गुण, स्वभाव और प्रभावों को जानना चाहिए। ग्रहों में सबसे तेज गति से चलने वाले चंद्र, सोम, शिमांशु, मृगांक, शशि, एवं शीत रश्मि जैसे नामों से भी पहचाने जाते हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं, और मानसिक स्थिति एवं स्वस्थ्य से भी संबंध रखते हैं। पंच तत्वों की बात करें तो चंद्रमा का जल तत्व के साथ विशेष संबंध है। ग़ौरतलब है कि मनुष्य के शरीर का तीन चौथाई हिस्सा जल तत्व से ही संबंध रखता है, मानव शरीर के इस तत्व पर चंद्रमा का प्रभुत्व होता है। चंद्र वैश्य वर्ण का सत्वगुणी ग्रह है, और सभी ग्रहों को समान दृष्टि से देखता है। राशि चक्र की बात करें, तो चंद्रमा को एक राशि चक्र पूरा करने में सवा दो दिन का समय लगता है, इसी के साथ वे कर्क राशि के स्वामी भी हैं। कुंडली में चंद्रमा के प्रभावों की बात करें तो चंद्रमा उत्तर दिशा और कुंडली के चौथे स्थान पर बलवान होते हैं। कुंडली के दसवें भाव में भी उनका प्रभाव सकारात्मक ही रहता है, बशर्ते वे किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में ना हों।

सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा की मौजूदगी, जीवन में मिलने वाली लोकप्रियता, उपलब्धि और मान्यताओं की ओर इशारा करती है। दसवें भाव में चंद्रमा इस बात को भी इंगित करते हैं, कि जातक चरित्र और व्यक्तित्व के मामले में बेहद प्रभावी होगें। ऐसे जातक भावनात्मक होते हैं, और ज़िम्मेदारी आने पर वे अधिक व्यवस्थित जीवन जीते हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं, और दसवाँ भाव कर्म स्थान है, इसलिए चंद्रमा की यहां मौजूदगी इस ओर भी इशारा करती है, कि दसवें स्थान पर चंद्रमा जातक को अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को बार-बार बदलने के लिए प्रेरित करेंगे। हालांकि वे अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उन्हें वहां पहुंचने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे जातक शांत और अहिंसा में विश्वास करते हैं, और संकट के समय में वे असाधारण समाधान उपलब्ध करा सकते हैं। यदि आप भी कर रहे हैं जीवन में संकटों का समाना तो पाइये समाधान हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से।

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दसवें भावमें चंद्रमा, जातकों को दयालु और समाज के प्रति समर्पित बनाता है, जिससे उन्हें प्रसिद्धि और मान सम्मान मिलता है। जीवन के प्रति खुली सोच उन्हें अन्य लोगों से अलग बनाती है। उनके विचार स्पष्ट, खुले और शांति के पक्ष में होते हैं, और सदैव सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करने के बाद ही किसी निर्णय तक पहुंचते हैं। कुंडली के दसवें स्थान पर चंद्रमा जातक को जनता के साथ या जनता के लिए कार्य करने की प्रेरणा देता है, इसी के साथ वे जनता या लोगों की प्रवृत्ति या भावनाओं को अच्छी तरह समझने वाले हो सकते हैं। दसवें घर में चंद्रमा करियर और समाज के लिए अधिक कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे जातक अधिक समय तक घर में रहना पसंद नहीं करते और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कड़ा परिश्रम करते हैं।

नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली के भिन्न-भिन्न भाव में अपने सकारात्मक प्रभावों के कारण ही चंद्रमा को वैश्य वर्ण माना गया है। चंद्रमा कुंडली के लगभग सभी भाव में सकारात्मक परिणाम ही देते हैं, लेकिन प्रकृति के नियम के मुताबिक सभी चीजों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पक्ष मौजूद होते हैं। वैसे ही चंद्रमा भी कुछ स्थिति में नकारात्मक या दुष्प्रभाव डालने का कार्य कर सकते हैं। अपने विरोधी ग्रहों के प्रभाव में चंद्रमा जातक पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकते हैं। ऐसे जातक अपने करियर और व्यावसायिक सफलता के प्रति बेहद गंभीर होते है, जिसका उनके व्यक्तिगत संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे जातक अपनी छवि या अपने परिवार के सदस्यों की उम्मीदों पर खरा उतरने के बारे में चिंतित महसूस कर सकते हैं। जीवन में चल रही समस्याओं का पता चलता है आपकी जन्मपत्री से, जिसे पाकर आप उन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

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कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा यदि प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा हो तो जातक भावनात्मक तनाव महसूस कर सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को दूसरों की उम्मीदों के अनुसार आगे बढ़ने से परहेज करते हुए, खुद के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। चंद्रमा के दसवें भाव में नकारात्मक प्रभावों की बात करें, तो ऐसे जातक उन चीजों की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जिसके लिए उन्हें अपने नेतृत्व गुणों और नैतिक मूल्यों की बलि चढ़ानी पड़ सकती है। ऐसे जातक कुछ परिस्थितियों में अपना धैर्य खोने की संभावना रखते हैं, और दुष्परिणाम के तौर पर अपनी आजीविका को भी जोखिम में डाल सकते हैं। वे वांछित सफलता प्राप्त करने में असमर्थ रहने पर अपने लक्ष्यों को छोड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

कुंडली के दसवें स्थान पर चंद्रमा, जातक को अच्छा चरित्र, मजबूत व्यक्तित्व और करियर व व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में सफलता देने का कार्य सकते हैं। ऐसे जातक बहुत ही सकारात्मक होते हैं और जहां भी जाते हैं वहां अपनी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। ऐसे जातकों में दूसरों को प्रभावित करने की ग़जब की क्षमता होती है, और कई लोग उनके प्रभाव में उनकी ओर खिंचे चले आते हैं। वे अपनी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कार्यों की बदौलत प्रसिद्ध और मान सम्मान प्राप्त करते हैं। वहीं विपरीत परिस्थितियों में चंद्रमा जातकों पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकते हैं। हालांकि वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा से संबंधित सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए भी उपायों का उल्लेख किया गया है। चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए जातक को चंद्र यंत्र की पूजा करनी चाहिए, वहीं चंद्रमा को बलवान करने के लिए चंद्र मोती धारण करना चाहिए, स्फटिक की माला अथवा दो मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। कुंडली में चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों का आभास होने पर बिना हिचकिचाए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श करें।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

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