Learn Astrology जानें कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की महत्ता

जानें कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम स्थान के रूप में जाना जाता है। तीसरे भाव का संबंध जातक के पराक्रम, छोटे भाई, दोस्त, लघु प्रवास, सगे संबंधी, संचार, कार्य सफलता, गुप्त शत्रु, महत्वपूर्ण फेरबदल और दलाली के लाभ जैसे क्षेत्रों से होता है। इसके कारक मंगल हैं, और इसे सहज स्थान के नाम से भी जाना जाता है। कुंडली के तीसरे स्थान पर चंद्रमा की उपस्थिति जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है।

वहीं चंद्रमा मनुष्य की मानसिक स्थिति एवं स्वस्थ्य से संबंध रखते हैं। चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव हर्षित रहने वाला ग्रह है, चंद्र मन के कारक होने के कारण मन को चंचल और गतिशील बनाए रखने का कार्य करते हैं। जब कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा मौजूद हो या गोचर कर रहे हों, तब उस भाव से मिलने वाले शुभ या अशुभ प्रभावों को प्रभावित करने का काम करते हैं। चंद्रमा का कुंडली के तीसरे भाव में मौजूद रहना आपको कई मायनों में प्रभावित कर सकता है।

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कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की उपस्थिति जातक को लेखक या कवि बना सकती है, क्योंकि ऐसे लोगों में स्वभाविक रूप से रचनात्मक दृष्टिकोण और आत्म अभिव्यक्ति के गुण पाए जाते हैं। ऐसे जातकों को स्वयं को व्यक्त करने और संवाद करने के लिए किसी खास व्यक्ति की अति आवश्यकता होती है, खासकर महिलाओं के साथ उनका संवाद अधिक महत्वपूर्ण होता है। कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को सहज, भावुक और दूसरों की भावनाओं को आसानी से समझने वाला बनाती है। इन खूबियों के कारण आप एक महान योगी या आध्यात्मिक गुरू बन सकते हैं। क्या आपकी कुंडली में भी चंद्रमा लाभकारी स्थिति में हैं या नहीं, जानने के लिए प्राप्त करें हमारी ग्रह विशेष रिपोर्ट!

आपके व्यक्तित्व के दो पहलू हो सकते हैं, आप तर्कसंगत, भावनात्मक या अप्रत्याशित हो सकते हैं। कुछ स्थितियों में आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित करे में सक्षम हैं, लेकिन कुछ अन्य स्थितियों में आप अपनी भावनाओं द्वारा नियंत्रित होते हैं। राशिचक्र के अनुसार तीसरे क्रम की राशि मिथुन है, यदि उसे ही तीसरे भाव में माने तो ऐसे लोगों के लिए खुद को संतुलित रखना बेहद मुश्किल होगा।

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को संवाद कौशल में निपुण बनाती है। लेकिन आपको इस सदगुण का उपयोग उस समय करना चाहिए जब आप किसी समस्या का तर्कसंगत समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हों या भावनाओं का घनघोर प्रकोप झेल रहे हों। यदि आप अपने कौशल का सही दिशा में उपयोग करते हैं, तो आपको जीवन में बड़े और स्थाई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। आपको यहां इस बात को भी समझना होगा कि, गुण वान होने से कुछ नहीं होता, आपको अपने गुणों का सही दिशा में उपयोग करते हुए, उनका लाभ उठाना सीखना चाहिए। यदि आप अपने गुणों का उपयोग सही दिशा में नहीं करते, तो आपको मुश्किल दौर से गुजरने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

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तीसरे भाव में चंद्रमा के प्रभाव और सुझाव

चंद्रमा एक ऐसा ग्रह है, जो किसी भी साथी ग्रह को अपना शत्रु नहीं मानता, मतलब उसके लिए सभी ग्रह समान है। लेकिन बुध, शुक्र और शनि, चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं, इसलिए कभी कभी इन ग्रहों के प्रभाव में आकर चंद्रमा कुछ नकारात्मक प्रभाव भी दे सकता है। कुंडली के तीसरे भाव में बैठे चंद्रमा भी यदि किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में है, तो जातक का मूड लगातार बदलता है। किसी बात या एक फैसले पर अडिग नहीं रह पाना, ऐसा बर्ताव कुछ लोगों को भ्रमति कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में लोग आपके साथ रहने या समय बिताने में संकोच करने लगते हैं। कभी-कभी, आप अपने विचारों में उलझ कर अपने निर्धारित लक्ष्यों से भी भटक सकते हैं। आपका संवाद कौशल जबर्दस्त है, लेकिन कई बार आप जल्दबाजी में कुछ ऐसी बातें कह सकते हैं, जिनके तार्किक निष्कर्ष तक पहुँचना मुश्किल है। ऐसे अनाड़ीपन के कारण आपको कई बार शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है। ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति से बचने के लिए आपको धैर्य के साथ अपनी बात के तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने के बाद ही कोई बात लोग के सामने प्रस्तुत करने की सलाह दी जाती है। रिश्तों या संबंधों में चल रही किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान पाएं हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से।

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कुंडली के तीसरे भाव में बैठे चंद्रमा, जातक को उन अवधारणाओं के प्रति आकर्षित करने का काम करते हैं, जिनके बारे में जातक को अधिक जानकारी नहीं होती। इस गुण के कारण आपके ज्ञान के भंडार में लगातार वृद्धि होती रहती है। ऐसे जातक लोगों के विचार, इच्छाओं और भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। आप लोगों से कई चीजें सीखने का प्रयास करते हैं। कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा, जातक को लोगों की पहचान उनके गुणों के आधार पर करने के लिए प्रेरित करते हैं। हालांकि इस कारण कई बार आपको कुछ विपरीत परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है। कुंडली के तीसरे स्थान पर चंद्रमा कई बार तर्क के सभी पक्षों को सुने बिना ही किसी दृष्टिकोण को आसानी से अपनाने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं। क्योंकि आप लोगों, परिस्थितियों या दृष्टिकोणों को सतही तौर पर ही देखते हैं, और उसकी गहराई में नहीं जाना चाहते। कई बार चर्चाओं के दौरान आप अधिक उत्साहित हो जाते हैं और एक राय बनाने के लिए दौड़ पड़ते हैं, हालांकि आप अधिक देर उस मुद्दे पर बात करने से बचेंगे और बात को किसी और दिशा में परिवर्तित करने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि आपको चीजों के तार्किक परिणाम तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए।

निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि चंद्रमा के तीसरे भाव में होने से जातक संवाद कौशल में निपूर्ण और लोगों की भावनाओं व इच्छाओं को आसानी से समझने वाले हो सकते हैं। हालांकि उन्हें कई बार अपने गुणों का उपयोग सही दिशा में करने के लिए प्रेरित करना पड़ता है। लेकिन फिर भी वे मिलनसार और तीव्र बुद्धि के धनी होते हैं, और लोगों और परिस्थियों को आसानी से समझकर, उनका सामना करने के साथ उनसे कुछ नया और बेहतर सीखने का प्रयास करते रहते हैं।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम