Learn Astrology कुंडली के प्रथम भाव में राहु: सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

कुंडली के प्रथम भाव में राहु: सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव


कुंडली के प्रथम या लग्न भाव में राहु की महत्ता

वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान है। यह ग्रह भौतिक रूप विद्यमान नहीं है, बल्कि यह एक आभासी या छाया ग्रह है, जिसे चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के रूप में भी जाना जाता है। राहु को एक नकारात्मक ग्रह के रूप में जाना जाता है, जो भौतिकवादी लाभों के प्रति जातक में मन में भ्रम और लालसा उत्पन्न करता है। यह व्यक्ति में तृष्णा पैदा करता है, और दुनिया की सभी सुविधाओं को प्राप्त करने की इच्छा भी जगाता है। इसलिए जिन जातकों की कुंडली के प्रथम भाव में राहु स्थित होता है, वे स्वार्थी हो सकते हैं और उनका दृष्टिकोण आत्म-केंद्रित हो सकता है। वे अहंकारी हो सकते हैं और अधर्मी जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

अभी अपनी ऑनलाइन निःशुल्क जन्मपत्री डाउनलोड करें और अपने भविष्य की योजना स्मार्ट तरीके से बनाएं!

 

प्रथम भाव में राहु के कारण प्रभावित क्षेत्र

स्वयं के प्रति दृष्टिकोण
व्यक्ति की समग्र प्रकृति
दूसरों के प्रति दृष्टिकोण
जीवन के प्रति दृष्टिकोण

सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

प्रथम भाव में राहु की उपस्थिति जातकों में सफलता की भूख पैदा करती है। वे दृढ़ता से सामाजिक सीढ़ी पर चढ़ने की इच्छा रखते हैं, और उस स्थिति से अधिक प्रभावशाली और धनवान बनना चाहते हैं, जिसमें वे पैदा हुए थे। वे प्रतिस्पर्धी होते हैं, और यह रवैया उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन करने और उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रेरित करता है।

प्रथम भाव में राहु की उपस्थिति वाले जातकों का सबसे अच्छा गुण ये होता है कि वे समाज या कार्यस्थल पर किसी नयी अवधारणा या नए विचार को प्रयोग में लाने का पर्याप्त साहस रखते हैं। उनके अंदर बढ़ावा देने, नवाचार और प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता होती है। वे ऊँचाइयों तक पहुंचने के लिए नए और अलग-अलग साधन व तरीके अपना सकते हैं। कुंडली के पहले भाव में राहु के अनुसार ऐसे जातक तब तक साधनों के बारे में अधिक परेशान नहीं करते तब तक की वे उन साधनों का उपयोग करते हुए अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाये।

इसके अलावा, पहले भाव में राहु वाले जातक समाज के पारंपरिक मानदंडों के प्रति सवाल उठाते हैं, और पुराने तौर-तरीकों को तोड़ते हैं। ऐसे जातक स्वयं को विशेषाधिकार प्राप्त और चुनिंदा लोगों में मानते हैं। उन्हें लगता है कि वे दूसरों से ऊपर हैं। वे बहुत बड़े अनुपात में चीजें चाहते हैं, बड़ा और बेहतर, महान और उत्तम। इसके साथ ही, जब राहु प्रथम भाव में स्थित होता है और साथ ही साथ केतु 7 वें भाव स्थित रहता है, तो ग्रहों की यह स्थिति जातक को दूसरों को बहुत समय देने में सक्षम बनाती है।

यदि आप जानना चाहते हैं कि 2024 में आपका जीवन कैसा होगा, तो 2024 की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें

 

नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

पहले भाव में राहु की उपस्थिति वाले जातक दृढ़ता से चाहते हैं कि दूसरे उनकी प्रशंसा और सराहना करें। वे एक ऐसी सामाजिक छवि प्रस्तुत कर सकते हैं जो आत्म-भ्रामक हो सकती है। इसके अलावा कुंडली के प्रथम भाव में राहु की स्थिति जातक को अनैतिक और अवैध कार्यों की ओर ले जा सकती है। बात की संभावना अधिक होती है कि ऐसे जातक शराब और नशे के आदि हो सकते हैं। पहले भाव में राहु वाले जातक किसी व्याधि, विक़ार या पीड़ा से पीड़ित भी हो सकते हैं। हालाँकि इसे रोका जा सकता है, यदि जातक की कुंडली में कोई ऐसा ग्रह किसी ऐसे भाव में स्थित हो, जो लाभ और दैवीय प्रभाव उत्पन्न करता हो, और नकारात्मक प्रभावों को बेअसर करता हो। आप भी जन्मपत्री की सहायता से अपनी कुंडली में ग्रहों की लाभकारी स्थिति का पता लगा सकते हैं और हानिकारक ग्रहों के प्रभाव को समाप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा राहु उन अधूरी इच्छाओं और कामनाओं का प्रतिक भी होता है, जिन्हें जातक अपने बीते हुए समय में प्राप्त करना चाहता था लेकिन किन्हीं कारण वश प्राप्त नहीं कर पाया। इसलिए उनके मस्तिष्क में वे अधूरी इच्छाएं जागृत रह जाती हैं, और उन अधूरी इच्छाओं की पूर्ति करना जातकों के लिए जुनून बन जाता है। इस प्रकार राहु जुनून, इच्छाओं, भ्रम, हताशा जैसी समस्त भावनाओं पर शासन करता है।

साथ ही, 1 भाव में राहु वाले जातक अपनी क्षमताओं का आंकलन और मूल्यांकन करने में असमर्थ होते हैं, और इसलिए वे जीवन में अव्यवहारिक लक्ष्य और उद्देश्य निर्धारित कर लेते हैं। प्रथम भाव में राहु की स्थिति जातक को भौतिक लक्ष्यों नाम, प्रसिद्धि, हैसियत आदि के पीछे भागने के लिए प्रेरित करती है। जिन्हें जातक कम से कम समय में प्राप्त करना चाहते हैं। इस प्रकार, प्रथम भाव में राहु, जातक को बुराई और अनुचित चीजों की ओर ले जाता है।

अपनी जिंदगी में यदि आप लगातार व्यक्तिगत समस्याओं से घिरे हुए हैं, तो पाएं व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सबसे प्रभावी उपाय पाइए।

 

निष्कर्ष

खैर, राहु ग्रह मोटे तौर पर ब्रह्मांड में नकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह जातक को भ्रम और ख़राब स्थिति में डाल सकता है, और हमें बुरे कर्म करने के लिए बाध्य कर सकता है। यह हमें स्थूल रूप से भौतिकवादी बना, अच्छाई और खुशी के रास्ते से दूर कर सकता है। हमें इस ग्रह के प्रति सचेत और बहुत सावधान रहना होगा।

अपने व्यक्तिगत समाधान प्राप्त करने के लिए, एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से बात करें अभी!

 

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम