कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र की महत्ता
वैदिक ज्योतिष, राशियों और कुंडली के आधार पर ब्रह्मांड में विद्यमान समस्त ग्रहों की स्थिति को समझने और उसके मानव जाति पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करता है। किसी कुंडली में कुल बारह भाग या स्थान होते हैं, जिन्हें भाव या घर के नाम से संबोधित किया जाता है। ब्रह्मांड को 360 डिग्री मान गया है, ठीक वैसे ही कुंडली को भी 360 डिग्री माना गया है। जिस तरह ब्रह्मांड को राशियों में बाटां गया है, वैसे ही कुंडली को भी 12 भावों में बांटा गया है। कुंडली का प्रत्येक भाव 30 डिग्री का होता है, और प्रत्येक भाव का जातक के जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध होता है। जब कुंडली के इन भावों से भिन्न-भिन्न ग्रहों का संबंध बनता है, तो इनसे मिलने वाले प्रभाव उस ग्रह से प्रभावित होकर, उस ग्रह के स्वभाव के अनुसार परिणाम निष्पादित करने लगते हैं। फिलहाल हम कुंडली के पहले भाव में बुध के प्रभा के समान ही, कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र के प्रभाव का आंकलन करेंगे।शुक्र जिसे भोर का तारा भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को काल पुरूष के सौंदर्य का प्रतीक माना गया है। शुक्र एक छोटा ग्रह है, और सौरमंडल में सूर्य से बढ़ते क्रम में दूसरे नंबर का ग्रह है। पृथ्वी का पड़ोसी होने के कारण इसे सूर्य अस्त के बाद गहरी रात से सूर्य उदय के पहले तक देखा जा सकता है। चंद्र कुंडली में शुक्र को वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना गया है। इसी क्रम में शुक्र सातवें भाव के कारक होकर पुरूषों से संबंधित मामलों के कार्यवाहक होते हैं। सामान्य तौर पर शुक्र को एक राशि भ्रमण में लगभग 23 दिनों का समय लगता है, लेकिन यह समयावधि स्थिति के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है।
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सकारात्मक लक्षण/प्रभाव
कुंडली का दूसरा भाव धन स्थान या कुटुंब स्थान के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध धन, चल-अचल संपत्ति, कुटुंब, वाणी, वंश, धन संग्रह, रत्न, लाभ-हानि, महत्वाकांक्षा और विरासत संपत्ति जैसे क्षेत्रों से होता है। जब कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र मौजूद हो तब वे आर्थिक और वित्त, लग्जरी और आराम के प्रति रवैया, विशेष गुण और जीवन के प्रति आपके रवैये को प्रभावित कर सकते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र जातक को आर्थिक तौर पर लाभांवित कर सकता है, वह जीवन की सभी भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त कर सकता है। इसी के साथ शुक्र के अनुकूल प्रभाव में जातक को वह सब कुछ मिलने की संभावना होती है, जिसकी उसे चाहत होती है। क्या आपको भी मिलेगा वो जिसकी आपको चाहत है, जानने के लिए बात करें एक अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ से।
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कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र जातक को आरामदायक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है, जिससे जातक महत्वाकांक्षी बन जाता है। ऐसे जातक अपने सपनों को सच करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। कुंडली के दूसरे घर में शुक्र जातक को कला, संगीत और सौंदर्य से संबंधित चीजों पर खर्च करने की लिए प्रेरित करता है। ऐसे जातक शानदार, सुविधा संपन्न और आरामदायक घर में रहना पसंद करते हैं। उन्हें आपने जीवन में आराम और शौक पर पैसे खर्च करना पसंद होता है और वे सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास नहीं करते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र जातक को प्रतिभा संपन्न बनाने का कार्य करता है, उनकी कला में अधिक रूचि होती है। ऐसे जातक अपनी प्रतिभा को निखारने का कार्य करते हैं और उससे जीवन में उच्च स्थान को प्राप्त करते हैं। उनकी विशेष प्रतिभा उन्हें आर्थिक तौर पर भी लाभांवित करने का कार्य कर सकती है। ऐसे जातक अपनी प्रतिभा के दम पर नाम, पैसा और शोहरत कमाने की संभावना रखते हैं।
नकारात्मक लक्षण/प्रभाव
सामान्य तौर पर शुक्र सकारात्मक प्रभाव देने वाला ग्रह है, लेकिन किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव या अन्य किसी विपरीत परिस्थिति में वह प्रतिकूल प्रभाव डालने का कार्य भी कर सकता है। कुंडली के दूसरे भाव में बैठे शुक्र यदि प्रतिकूल प्रभाव डालने का कार्य करते हैं, तो जातक बेहद ख़र्चीले स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातक कई बार उन चीजों पर अत्यधिक खर्च कर सकते हैं, जो अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं। वे महंगी चीजों को खरीदने में अपना ज्यादा पैसा खर्च करते हैं, जिन वस्तुओं का व्यावहारिक रूप से कोई उपयोग नहीं होता है। कुंडली के दूसरे घर में शुक्र जातक को अपने जीवन साथी से धन और संपत्ति प्राप्त करने की संभावनाओं को भी बल देता है। दूसरे स्थान पर शुक्र की मौजूदगी जीवन के भौतिक पहलुओं को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। शुक्र के प्रतिगामी होने के कारण जातक बहुत अधिक भौतिकवादी (वस्तुवादी) हो सकते हैं। ऐसे जातकों की खुशी भी भौतिकवादी लाभ और उनमें होने वाली वृद्धि पर निर्भर करती है। क्या आप भी पाना चाहते हैं जीवन में सुख समृद्धि और सम्पन्नता तो लीजिये सलाह हमारे ज्योतिषी विशेषज्ञों से।
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जिन जातकों की कुंडली में शुक्र दूसरे भाव में प्रतिकूल परिस्थिति में बैठे होते हैं। उनमें उपहार के बदले उपहार पाने की प्रबल इच्छा होती है, दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे जातक दूसरों को यही सोचकर उपहार देते हैं, कि उन्हें भी इसके बदले कोई अच्छा उपहार मिलने वाला है। सामान्य तौर पर देखने से यह बात उतनी बड़ी नहीं लगती, लेकिन ऐसे जातकों में लोगों पर अपने समान या उससे बेहतर उपहार देने के लिए दबाव बनाने की बुरी आदत भी हो सकती है। हालांकि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होता कि वे उपहार वापसी के लिए लोगों पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन उनकी ऐसी इच्छाएं कम ही पूरी होती हैं, क्योंकि कुंडली के दूसरे भाव बैठे शुक्र उन्हें अन्य लोगों से अलग करने का कार्य करते हैं। ऐसे जातकों के साथी, मित्र या परिवार वाले उनकी इच्छा को समझ नहीं पाते और उन्हें मनचाहा उपहार प्राप्त नहीं होता है। हालांकि ऐसे जातकों को लोगों से कम उम्मीद रखने की सलाह है। ऐसा करने से उन्हें खुश और संतोष मिलने की संभावना है।
निष्कर्ष
कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र की मौजूदगी जातक को भोग-विलासिता और धन के प्रति आकर्षित करने का कार्य करती है। ऐसे जातकों को आसानी से अपनी मन चाही वस्तु प्राप्त होती है। उनके हाथ में पैसा बना रहता है, और वे उसे खर्च करने में माहिर होते हैं। लेकिन उन्हें अनावश्यक वस्तुओं पर पैसे खर्च करने से बचना चाहिए। यदि वे भोग विलास के प्रति अपने प्रेम को संयमित नहीं रखते हैं, और अनावश्यक वस्तुओं पर पैसे खर्च करते हैं, तो उन्हें आर्थिक मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को अपने आसपास के लोगों से अधिक अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें आत्म शांति और खुशी मिलने की पूरी संभावना है।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम