Meditations गहरी सांस के ध्यान या प्राणायाम (pranayam) से करें तनाव दूर (deep breathing meditation)

गहरी सांस के ध्यान या प्राणायाम (pranayam) से करें तनाव दूर (deep breathing meditation)

यदि हम आपसे पूछा जाएं कि जीवन के लिए सबसे जरूरी क्या है, तो आप शायद ऑक्सीजन का जिक्र करें। जवाब ठीक है, लेकिन क्या ऑक्सीजन खुद ब खुद आपके फेफड़ों तक पहुंच जाती है। नहीं न, आप सांस लेते हैं, तब ऑक्सीजन आपके शरीर में पहुंचती है और आप जीवित रहते हैं। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम हमारी सांसों के प्रति बिलकुल भी अवेयर नहीं है। बल्कि हम तो जीवन के लिए सबसे अधिक जरूरी पानी को मानते हैं। जबकि सांस हमारे जीवन का मूल सूत्र है, जो हमें जीवित रखती है। जीव जीवन के लिए सांसों का महत्व जानकर ही हमारे पूर्वजों ने सांस को प्राण वायु का नाम दिया। समय के साथ हमारे जीवन में अन्य चीजों का महत्व बढ़ता गया और सांस से हमारा फोकस बिलकुल ही छूट गया। फोकस से हमारा मतलब सांस लेने के सही तरीके से है। तो सांस लेने का सही तरीका क्या है?(right way to breathe) क्या हम सही तरीके से सांस नहीं लेते हैं और यदि ऐसा है तो सही तरीके से सांस नहीं लेने के क्या दुष्परिणाम है? अच्छे से सांस लेने के लाभ (Benefits of well breathing) क्या है? आइए नीचे इन सभी सवालों के जवाब तलाशने का प्रयास करते हैं।

गहरी सांस कैसे लें (deep breathing exercises)

आप में से कई लोग इस समय यह सोच रहे होंगे कि सांस के बारे में ऐसा क्या है जो हमें सीखना बाकी है? क्या यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं है? जो अपने आप होती रहती है। आपकी बात बिलकुल सत्य है  सांस लेना एक स्वाभाविक प्रक्रिया ही है, लेकिन इसके स्वाभाविक होने के कारण ही हम सांस लेने के सही तरीके को भूल गए हैं। प्राणायाम या मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमें सांस लेने के सही तरीकों का ज्ञान करवाती है। सांस का योग या गहरी सांस का व्यायाम (breathing meditations) हमारे सांस के प्रवाह को नियंत्रित करने का सबसे नायाब तरीका है। प्राणायाम करने से हमारे शरीर के अंदर की नाड़ियाँ खुल जाती हैं, जो हमारे मन व शरीर को ऊर्जा देने का काम करती हैं। आइए गहरी सांस या सही तरीके से सांस लेने के लाभ जानें।

गहरी सांस लेने के लाभ (Benefits of deep breathing)

गहरी सांस लेने से शरीर डिटॉक्स होता है, हम रोजाना अपनी खाने पीने की आदतों और सांस के साथ भी शरीर में कई तरह के विषाक्त पदार्थ डाल लेते हैं। गहरी सांस शरीर के इन विषाक्त पदार्थों को बाहर करके शरीर को अंदर से साफ करने का काम करती है। यदि आप गहरी सांस नहीं लेते हैं, तो शरीर अपनी वह क्षमता खो देता है, जो विषाक्त पदार्थों को बाहर करती है। परिणाम स्वरूप शरीर को रक्त साफ करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और यह आगे चलकर हमारी बीमारी का कारण बनता है। गहरी सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान हमारा शरीर कार्बन डाई ऑक्साइड के साथ उन विषाक्त पदार्थों को भी शरीर के बाहर कर देता है जो शरीर को खराब कर सकते हैं।

आक्सीजन का सही स्तर

गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन का सही स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है। जब भी हम किसी परेशानी में होते हैं, गहरी सांस लेते हैं, क्योंकि ऐसा करने से हमारे शरीर को आराम मिलता हैं।  गहरी सांस लेने से आपको आराम क्यों मिलता है इस बात का जवाब यह है कि जब ऑक्सीजन शरीर की कोशिकाओं तक सही मात्रा में पहुंचती है तो कोशिकाओं होने वाली ऑक्सीजन की आवश्यकता आसानी से पूरी हो जाती है। गहरी सांस लेने से मिलने वाली ऑक्सीजन से हमारे शरीर की सभी कार्यप्रणालियों की क्षमता बढ़ने लगती है और वे सही तरह के काम करने लगती है।

गहरी सांस लेने से तनाव कम होता है (breathing exercises for anxiety)

जब भी हम तनाव या चिंता में होते हैं, तो छोटी छोटी सांस लेते हैं। जब कभी हमारा शरीर असुरक्षित महसूस करता है, वह हल्की और छोटी – छोटी सांसे लेने लगता है। छोटी-छोटी सांस चिंता, भय और हाइपरएक्टिव होने की समस्या को बढ़ाती है। गहरी सांस लेना तनाव और चिंता से बचने (breathing exercises for stress) का एक सबसे कारगर उपाय है। जब आप गहरी सांस लेते हैं तो आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने लगती है और आप चिंता मुक्त हो जाते हैं। गहरी सांस लेने से दिल की धड़कने भी सामान्य होने लगती है, जिससे आप शांत महसूस करने लगते हैं।

गहरी सांस लेना हृदय के लिए फायदेमंद

गहरी सांस(deep breathing) लेना शरीर के लिए एक एक्सरसाइज है। यदि आप नियमित रूप से रोज व्यायाम नहीं करते हैं या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की वजह से व्यायाम नहीं कर सकते हैं, तो आपको रोजाना कुछ समय के लिए गहरी सांस (calm breathing) लेना चाहिए। गहरी सांस लेने से हृदय की कार्य क्षमता में इजाफा होता है। इसी के साथ यदि आप व्यायाम के दौरान अपनी सांसों को ठीक तरह से नियंत्रित कर गहरी सांस लेते हैं, तो इससे आपके हृदय के काम करने के तरीके में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

गहरी सांस की लेने के तरीके (relaxation breathing techniques)

गहरी सांस लेने के फायदे जानने के बाद हम यहा गहरी सांस लेने के कुछ उपायों के बारे में जानेंगे। आइए शुरू करते हैं….

कुंडलिनी श्वास (Kundalini Breathing)

कुंडलिनी ध्यान में सांस लेने की तकनीक के साथ ही हम शरीर के अंदर  प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को भी केंद्रित करने का काम करते हैं। गहरी सांस लेने के व्यायाम के इस रूप को अंग्रेजी में डायाफ्रामिक श्वास भी कहा जाता है। डायाफ्रामिक श्वास आपको अपनी सांस का सही उपयोग करना और इसे मजबूत करना सिखाता है।

कुंडलिनी प्राणायाम कैसे करें(How to do Kundalini Pranayama)

– कुंडलिनी सांस विधि(Kundalini Breath Method) के लिए सबसे पहले एक आरामदायक स्थान की तलाश करें। 

– आप इसे बैठकर, लेटकर अपनी ऑफिस चेयर पर भी कर सकते हैं। 

– एक हाथ अपने पेट पर और दूसरा अपनी छाती पर रखें।

– अपनी नाक के माध्यम से सांस लें, और फिर अपने पेट को महसूस करें।

– अपने हाथ को अपनी छाती पर जितना संभव हो सके रखने का प्रयास करें।

– गहरी सांसें लें जो आपके फेफड़ों को भर दें।

नाड़ी शोधन प्राणायाम(Nadi Shodhana )

नाड़ी शोधन प्राणायाम हिंदू जीवन शैली का एक अंग है। नाड़ी शोधन प्राणयाम रक्त और श्वासतंत्र को शुद्ध करता है। गहरी सांस खून तक भरपूरा मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम श्वास प्रणाली को शक्ति प्रदान करने के साथ ही स्नायुतंत्र को संतुलित रखता है। यह चिन्ता, तनाव और सिर दर्द जैसी समस्याओं को  दूर करने में सहायता करता है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम कैसे करें (How to do Nadi Shuddhi Pranayama)

– पहले चरण में अलाथी-पलाथी मारकर बैठ जाएं अपनी कमर को सीधा रखने का प्रयास करें और अपनी आंखें बंद कर लें।

– अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दायीं नाक को बंद कर पूरी सांस बाहर निकालें।

– फिर अपनी बाई नासिका से सांस लें, अब हाथ की तीसरी उंगली से अपनी बायीं नाक को बंद करें। जितनी देर आप इस स्थिति में सांस को रोक सकते हैं, उतने समय तक रोक कर रखें।

– अब आप अपनी दाई नाक से अंगूठा हटाकर सांस को जितना धीरे हो सकें बाहर की ओर छोड़ें। 

– फिर दाई नासिका से सांस लें और इसे रोकें, फिर बायी नाक के माध्यम से धीरे धीरे सांस छोड़ दें।

कुंभक प्राणायाम(Kumbhaka Pranayamas)

कुंभक प्राणायाम हठ योग का श्वास व्यायाम है। कुंभक प्राणायाम का अभ्यास (Practice of Kumbhak Pranayama) दो प्रकारों से किया जाता है- अंतरा और बाह्य, जिसका अर्थ है क्रमशः आंतरिक और बाहरी। कुंभक प्राणायाम करने से हमारे संपूर्ण शरीर के रोग नष्ट होते हैं और शरीर में स्फूर्ति व ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और शक्ति प्राप्त होती है।

कुंभक प्राणायाम कैसे करें (How to do Kumbhak Pranayama)

– कुंभक प्राणायाम करने के लिए किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं।

– कुंभक प्राणायाम का मूल अपने फेफड़ों को सांसों से भरना है। 

– धीरे-धीरे संपूर्ण फेफड़ों को सांसों से भरने के बाद सांस को रोककर रखें।

– जब आपकी सांस उखड़ने लगे तो गर्दन को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे पूरी सांस को बाहर निकाल दें। शुरुआत में 5 बार कुंभक का अभ्यास करें और बाद में अपनी क्षमता के अनुसार बढ़ा सकते हैं।

– इस प्राणायाम के दौरान ध्यान रहे कि सांस धीरे – धीरे लेना है, और धीरे – धीरे ही छोड़ना है कुंभक का अभ्यास करते समय कभी भी झटके से या एक साथ श्वास ना निकालें और ना लें।

कपालभाति(Kapalabhati)

कपालभाति प्राणायाम का एक अहम हिस्सा है। जिसका अभ्यास शरीर को  साफ करने के लिए किया जाता है। कपालभाति शब्द दो शब्दों से बना है पहला कपाल जिसका अर्थ है माथा और भाति का अर्थ है तेज। कपालभाति प्राणायाम  अभ्यास करने से चेहरा पर चमक से उत्पन्न तेज रहता है। कपालभाति प्राणायाम हमारे दिमाग के वजन को कम करने का काम करता है।

कपालभाति कैसे करें(How to do kapalbhati)

– ध्यान की मुद्रा धारण कर सुखासन में बैठे।

– रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपने हाथों को घुटने पर ले आएं।

– अब अपनी आंखों को बंद कर शरीर को हल्का छोड़ दीजिये।

– गहरी सांस ले और सांस को बाहर छोड़े, ध्यान रखें कि सांस अंदर खींचते समय पेट बाहर आना चाहिए और बाहर छोड़ने के साथ ही पेट अंदर की तरफ आना चाहिए।

– इस क्रम को 20 बार तक दोहराएं प्राणायाम पूरा होने के बाद लगभग 1 मिनट तक शांति से बैठे रहें और मन से शांति को महसूस करें।

4-7-8 की गिनती

4-7-8 की तकनीक कुंभक प्राणायाम के समान ही है। यह सांस लेने की त्वरित तकनीकों में से एक है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करती है। इस तकनीक को आराम देने वाली श्वास तकनीक के रूप में भी जाना जाता है। 4-7-8 की गिनती प्राणायाम अनिद्रा और चिंता के दूर करने के लिए एक अद्भुत प्राणायाम है।

4-7-8- गिनती प्राणायाम कैसे करें

– सबसे पहले अपनी जीभ को अपने दांतों के शीर्ष पर रखें।

– फिर एक गहरी सांस बाहर छोड़ें और फिर अपना मुंह बंद कर लें।

– अपनी नाक के माध्यम से चार की गिनती पर सांस लें, इसे सात की गिनती तक भीतर रखें, और फिर गहरी और पूरी तरह से आठ की गिनती पर सांस छोड़ें।

भ्रामरी प्राणायाम(bhramari pranayama)

भ्रामरी प्राणायाम तनाव कम करने में मदद करता है, इसी के साथ यह असमय गुस्से व बेचैनी को भी कम करने का काम करता है।

भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें (How to do bhramari pranayama)

– भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सुखासन में बैठें। 

– इसके बाद अपनी आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों को चेहरे पर रख दोनों अंगूठों से अपने कानों को ढकें।

– अपनी तर्जनी अंगुली को आंखों के ऊपर रखें और मध्यमा अंगुली नाक के पास रखें, अनामिका को अपने होंठों पर और सबसे छोटी अंगुली होंठ के नीचे रखें।

– अब अपनी नाक से गहरी और लंबी सांस लें। फिर सांस को भंवरे के गूंजने की आवाज करते हुए बाहर छोड़े। 

– इस प्रक्रिया को 5 मिनट तक जारी रखें

शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama)

शीतल शब्द का अर्थ ठंडा करने वाला होता है और शीतली प्राणायाम का अर्थ वह प्रक्रिया है जो हमारे शरीर को शांत या ठंडा करें। शीतली प्राणायाम का उपयोग आपके शरीर के साथ ही मन को भी शांत करता है। शीतली प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य शरीर के तापमान को कम करना होता है। यह हमारे तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

शीतली प्राणायाम कैसे करें(How to do shitali pranayama)

– सबसे पहले किसी आरामदायक स्थान पर सुखासन की मुद्रा में बैठें।

– फिर अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा बनाकर घुटनों पर रख लें।

– अपनी आंखें बंद कर लें और पूरे शरीर को शांत करने का प्रयास करें।

– जहां तक संभव हो बिना तनाव के अपनी जीभ को मुंह के बाहर निकालें।

– जीभ के किनारों को रोल करें और एक ट्यूब या नालिका जैसा आकार दें। 

– अब इस ट्यूब के माध्यम से सांस अंदर खींचें और फिर अपनी जीभ को मुंह में वापस अंदर ले लें।

– अंदर ली हुई सांस को नाक के माध्यम से बाहर छोड़ें।

– इस बात का ध्यान रखें कि सांस लेते समय तेज हवा के जैसी ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए।

कम शब्दों में पूरी जानकारी

तनाव को दूर करने और रोजमर्रा की चिंता को कम करने के लिए गहरी सांस विधि को सबसे बेहतरीन प्रयोगों में से एक माना गया है। ध्यान को नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करने पर आप अपने जीवन में कई तरह के सकारात्मक परिवर्तन देख सकते हैं। गहरी सांस ध्यान को आप दिन के किसी भी समय कर सकते हैं। ध्यान का उद्देश्य हमारे मन को शांत करना होता है। यदि हमारा मन शांत है, तो हम चिंताओं और मानसिक दुविधाओं से मुक्त रहते है और सच्ची खुशी का अनुभव करते हैं।