Meditations मन की शांति क्या है और ध्यान से मन की शांति कैसे पाएं, जानिए विशेष विधि

मन की शांति क्या है और ध्यान से मन की शांति कैसे पाएं, जानिए विशेष विधि

मौन से आंतरिक शक्ति का विकास होता है। इसका सीधा सा मतलब है कि जितना आप चुप रहेंगे, उतनी ही आपकी शक्ति बढ़ेगी। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम उलझते जा रहे हैं। लगातार विकसित होती इस दुनिया में हमने खुद को प्रकृति से दूर कर लिया है। मनुष्य आनंद की खोज या मन की शांति की खोज बाहर करता है, लेकिन सही मायने में अथाह आनंद या शांति का भंडार हमारे मन में है। इसी आनंद को हम प्रेम के पर्यायवाची के रूप में जानते हैं। हमारे अस्तित्व का मूल प्रेम ही है। आज की उलझती और कामकाजी दुनिया में मन की इसी शांति यानी प्रेम को हम खोज नहीं पा रहे हैं। इसी प्रेम और मन की शांति के लिए हमारे पूर्वजों ने ध्यान जैसी तकनीक की प्रैक्टिस की है। अब हमें इसी प्रेम और को तलाश करने और मन की शांति पाने के लिए ध्यान जैसी पुरानी तकनीक का सहारा लेना चाहिए। यह ध्यान हमें तनाव के चंगुल से तो मुक्त करेगा ही, खुद के भीतर अथाह शांति का द्वार भी खोल देगा।

आंतरिक शांति या मन की शांति का सही मतलब क्या है

बहुत सी रिसर्च ने यह सिद्ध किया है कि जिसके पास आंतरिक शांति नहीं है, उसका दिमाग स्थिर नहीं है। उसका टारगेट अधूरा है। कुछ लोग आंतरिक शांति का मतलब दुनिया से कट जाने को मानते हैं, लेकिन इसका सही मतलब कुछ और है। आंतरिक शांति या मन की शांति का सीधा सा मतलब आपके आसपास की चीजों से जुड़ा होना होता है। इस जुड़ाव में संतोष की भावना होती है। दरअसल आंतरिक शांति या मन की शांति आपको सभी कार्य को महत्वपूर्ण मानने की सलाह देता है। यदि आप मन से शांत हैं, तो आप सभी कामों पर फोकस कर सकते हैं। धीरे ही सही लेकिन अपने टारगेट को पूरा कर सकते हैं। आंतरिक शांति आपको मन और तन से मजबूत बनाने का काम करती है, जिससे आप पूरी तरह स्वस्थ रह सकें। यह शांति खुद को हमेशा किसी अनचाहे संकट या अनावश्यक चिंता से दूर रखती है। आंतरिक शांति आपका लक्ष्य निर्धारित करने और उसे पूरा करने के लिए आपको सही मार्ग और सही दृढ़ता देती है।

मन में शांति के अभूतपूर्व लाभ

अक्सर जब कोई मन की शांति की बात करता है, तो वह किसी चट्टान या नदी किनारे बैठे साधु के बारे में सोचने लगता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मन की यह शांति आप सामान्य जीवन जीते हुए भी प्राप्त कर सकते हैं। दरअसल भौतिकवाद में रहते हुए मन की शांति को पाना सबसे कठिन होता है। यदि आपके पास मन की शांति है, तो आप अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए अपने सभी काम आसानी से पूरे करते हैं। यदि आपके पास आंतरिक शांति है, तो इसके कई लाभ हो सकते हैं। ये लाभ कुछ इस प्रकार से है- 

– आपका मन शांत रहता है, तो आपका फोकस भी बढ़ता है।

– दैनिक जीवन के सभी काम आप आसानी से पूरे कर पाते हैं।

– आंतरिक शक्ति बढ़ती है, तो आप स्वस्थ रहेंगे।

– आपको अधिक धैर्यवान, सहनशील और व्यवहार कुशल बनाता है।

– आप अनावश्यक चिंताओं से मुक्त रहते हैं।

– आपमें संतोष और आनंद की भावना रहती है।

– अनिद्रा जैसी बीमारी दूर होती है और अनावश्यक चिंतन आप नहीं करते हैं।

– आपके बारे में कोई कुछ भी कहें, आप इससे प्रभावित नहीं होते हैं।

– आप कठिन कामों को भी आसानी से पूरा कर पाते हैं।

– एक शांतिपूर्ण दिमाग के साथ आप समस्याओं और अतिरिक्त काम देखकर उत्तेजित होना बंद कर देते हैं। 

– एक शांत मन आपको सभी परिस्थितियों में स्पष्ट निर्णय को बनाए रखने में मदद करता है।

अगर आपको अपने मिजाज में किसी तरह की मदद की जरूरत है, तो हमारे वेलनेस काउंसलर आपकी मदद कर सकते हैं।

शांति को अपना सच्चा दोस्त कैसे बनाएं

आंतरिक शांति प्राप्त करना बिल्कुल भी आसान नहीं है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। शुरुआत में यह बहुत जटिल लगता है, लेकिन जब आप ध्यान के जरिए मन की अपार शांति की ओर बढ़ते हैं, तो आप इसके आदी हो जाते हैं। पूरी दुनिया की सभी कठिन समस्याएं आपको आसान लगने लगेंगी। जानते हैं इस मन की शांति को कैसे पाएं- 

जैसा है, वैसा स्वीकारें

आपका काम केवल वर्तमान को सुधारने के लिए होना चाहिए। अभी जो जैसा है, उसे उसी रूप में स्वीकार करना आपकी जीत का एक लक्षण हो सकता है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि यदि आप वर्तमान के मुद्दों के साथ छेड़छाड़ करते हैं, तो आप ब्रह्मांड के काम में हस्तक्षेप करते हैं। आपको किसी तथ्य को स्वीकरने में इतना संघर्ष नहीं करना चाहिए और इसका विरोध भी नहीं करना चाहिए।

पक्षपाती नहीं बनें

आप हमेशा खुद को और दूसरों सही या गलत जैसी चीजों में आंकना शुरू कर देते हैं। हर क्रिया को अच्छे या बुरे के रूप में देखने की बजाय विश्लेषणात्मक तरीका ढूंढे। मन की शांति के लिए यह तथ्य सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप किसी भी मुद्दे पर केवल अपनी राय नहीं बनाएं।

अनावश्यक विचारों से बचें

 अपने दिमाग को हमेशा शांत रखने की जरूरत होती है। यह तभी होगा जब आप खुद पर अनावश्यक काम को बोझ नहीं ढालेंगे या किसी चिंता में नहीं पड़ेंगे। काम का बोझ या अनावश्यक चिंता आपके शांत मन को अस्थिर करने का प्रयास करेगा।

माइंडफुलनेस का अभ्यास करें

दरअसल इस तकनीक के जरिए आपको यह सीखऩे की जरूरत है कि आप खुद को भविष्य की कल्पनाओं और अतीत की बुरी यादों से दूर रखें। यह दोनों ही स्थितियां आपको शांत मन को अशांत करने के लिए काफी होती है।

– आपको अपना ध्यान केवल वर्तमान पर रखना है। हमेशा ईश्वर और ब्रह्मांड का आभार जताएं कि आपको बहुत सी चीजें मिली है। यदि आप यह कर पाते हैं, तो अब आप उस चीज को पाने का पर्याप्त प्रयास भी करें, जिसकी आपको चाहत है।

दृढ़ इच्छाशक्ति का उपयोग करें

आपको नकारात्मक सोच को दृढ़ता से हटाने की प्रैक्टिस करना होगी। कुछ दिनों की प्रैक्टिस के बाद यह इच्छाशक्ति आपको सकारात्मकता से भर देगी।

– आप अपने विचारों पर ध्यान दें।

– असुरक्षित विचारों को तुरंत हटा दें।

– अपने विचारों को सकारात्मक बनाएं।

मन की शांति के लिए कौन सा ध्यान करें

सभी धर्मों में ध्यान का विशेष महत्व है, लेकिन बौद्ध धर्म में ध्यान को आंतरिक ऊर्जा का स्रोत माना गया है। चीन और जापान सहित ज्यादातर बौद्ध देशों में मन की शांति प्राप्त करने के लिए ध्यान को ही सही उपचार माना गया है। ध्यान यानी मेडिटेशन एक लेटीन शब्द मेेडिटरी से आया है। इसका सीधा सा अर्थ है विचारों का व्यायाम। ध्यान के दौरान अपने मन की स्थिति को चैनलाइज करने के लिए अपनी सोच को सकारात्मक करने और इसे बदलने पर जोर दिया जाता है।

कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मन और शरीर के बीच बहुत गहरा संबंध है। यदि मन से शक्तिशाली हैं, तो हम शरीर से स्वस्थ और शक्तिशाली रहेंगे। इस तरह ध्यान करके हम अपने दिमाग पर अधिकार करके अपने जीवन के पाठ्यक्रम को बदल सकते हैं। ध्यान के जरिए हमारी मस्तिष्क की गतिविधियों पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं।

ध्यान के जरिए हम आंतरिक शांति मिलती है, क्योंकि हम उस समय शांत रहकर दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालते हैं। जब हम शांत रहते हैं और अनावश्यक विचारों से दूर रहते हैं और ध्यान करने के बाद भी हमारा मन अनावश्यक और उत्तेजित करने वाले विचारों को आने से रोकता है। धीरे-धीरे इन अनावश्यक विचारों के मन में नहीं आने का समय बढ़ता जाता है। ध्यान के जरिए यह आसानी से संभव हो पाता है।

सांसों पर फोकस

यह ध्यान का सबसे बेसिक कंसेप्ट है। इस तरह के ध्यान में आपको ज्यादा कुछ नहीं करना होता है, बस आपको अपनी सांसों पर फोकस करने की सलाह दी जाती है। आप सांस लेते समय और सांस छोड़ते समय इसका ध्यान रखें। जब आप ऐसा करते हैं, तो आप फोकस्ड होना भी सीखते हैं।

शरीर पर ध्यान

यह ध्यान का थोड़ा नया चरण हो सकता है। इसमें आपको पैर की अंगुलियों से सिर तक बारी-बारी अपने ध्यान को शरीर के अंगों पर लगाना होता है। इस दौरान आप किसी दर्द को महसूस कर रहे हों, तो अपने ध्यान को उस अंग पर भी ले जाकर दर्द रहित होने का विचार मन में ला सकते हैं।

कल्पना

यहां आपको अपनी कल्पना में कोई खूबसूरत दृश्य उभारना है। आप नदी के किसी किनारे, हिमालय के पहाड़ या अपनी पसंदीदा किसी खूबसूरत प्राकृतिक स्थल के नजारे की कल्पना कर सकते हैं। आपको बस उस नाजरे को महसूस करते हुए खुद को एक पॉजिटिव मैसेज भेजना होता है। कुल मिलाकर यह ध्यान सांसों पर फोकस करने जैसा ही है, बस यहां हमारा फोकस हमारे दिमाग में चल रहे उस चित्र की ओर होता है।

प्रेम और दयालुता

यहां आपको प्रेम और दयालु होने की फीलिंग्स को मन में लेकर आना है। दरअसल इस तरह का ध्यान आपको अलग-अलग लोगों के प्रति पूर्वाग्रह नहीं होने के प्रति सचेत करेगा। इस ध्यान में आप अलग-अलग लोगों को अपने ध्यान में लाकर उनके प्रति सकरात्मक विचार मन में ला सकते हैं। इसमें ध्यान में आपको अपने मन को इंसट्रक्ट करना होता है कि सभी लोग समान है और ध्यान के जरिए दूसरों में बुराई ढूंढने की जगह खुद की बुराइयां दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

अनुकंपा

इस तरह के ध्यान में भी आपको किसी एक व्यक्ति के ऊपर ध्यान लगाना होगा। खुद को उस व्यक्ति के प्रति सकारात्मक बनाना होगा। यह व्यक्ति कोई अनजान भी हो सकता है। दरअसल इस तरह की प्रैक्टिस आपको सभी लोगों को पॉजिटिव तरीके से देखने का एक नया अनुभव प्रदान करेगी।

जागरूकता ध्यान

जागरूकता ध्यान आपके मस्तिष्क को पूरी तरह से केंद्रित करने के बारे एक ऑनलाइन चिकित्सक से बात करें और समझें कि आप मनोविज्ञान में आंतरिक शांति कैसे पाते हैं।में है। इसमें आपको मस्तिष्क को विचारों से दूर रहना सिखाना होगा। आपके ध्यान करते समय तरह-तरह के विचार आपके मन में आएंगे। अगर आप इन विचारों को जबरदस्ती तरीके से हटाएंगे तो यह आपको परेशान करेगा।

आभार ध्यान

यह भी ध्यान की एक तकनीक है, जिसमें आप ध्यान करके उन सभी चीजों के लिए ईश्वर का शुक्रिया करते हैं, जो आपके पास है। यह एक तरह का प्रार्थना ध्यान भी हो सकता है। इसमें आप आने वाली जिंदगी के लिए अच्छी चीजों मिलने की प्रार्थना भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

मन की शांति पूरी तरह से आंतरिक मामला है। आंतरिक शांति कभी भी अपने आप नहीं आती है। यह पूरी तरह से प्रैक्टिस पर निर्भर करता है कि आप आतंरिक शांति के लिए कितने गहरे हद तक ध्यान कर पा रहे हैं। मन की शांति पाकर आप कई नए टारगेट या लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। मन की शांति पाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खुद को उसके लिए तैयार करना।

ऑनलाइन चिकित्सक से बात करें और समझें कि आप मनोविज्ञान में आंतरिक शांति कैसे पाते हैं।

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