भविष्यवाणियों 16 दिसम्बर को बन रहा ग्रहों का ऐसा महासंयोग! जानिए इसके प्रभाव और समाधान!

16 दिसम्बर को बन रहा ग्रहों का ऐसा महासंयोग! जानिए इसके प्रभाव और समाधान!

16 दिसम्बर को बन रहा ग्रहों का ऐसा महासंयोग! जानिए इसके प्रभाव और समाधान!

दिसंबर में बुध, चंद्र, सूर्य, गुरू, केतु और शनि का महासंयोग, प्रभाव और समाधान

हमारे दैनिक जीवन और ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों के बीच अटूट संबंध है। यह संबंध हमारे जन्म से ही हमें प्रभावित करता है। कभी हमें अपने जीवन में इन ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है, तो कभी नकारात्मक। कभी-कभी इन ग्रहों का हमारे जीवन में मिला-जुला असर भी रहता है। लेकिन कभी-कभी इस अनंत ब्रह्मांड में विचरण कर रहे ग्रह ऐसी स्थिति में आ जाते है, जहां सभी ग्रहों का गोचर कुंडली के एक ही भाव या एक परिस्थिति में हो जाता है। कमोवेश ऐसी परिस्थिति वर्षों में निर्मित होती है। लेकिन ऐसी परिस्थिति में ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभावों का विश्लेषण और उनसे प्राप्त होने वाले फलों की प्रकृति में भी भारी बदलाव देखने को मिलता है। ग्रहों की ऐसी ही एक स्थिति आगामी समय में देखने को मिलने वाली है। 26/12/2019 को ग्रहों का ऐसा संयोग बन रहा है। जब 6 ग्रह एक साथ एक जगह एकत्र होने वाले हैं। ग्रहों के ऐसे योग को ज्योतिषीय भाषा में प्रवज्या योग या सन्यासी योग भी कहा जाता है। ग्रहों के इस बिरले योग से निकलने वाली सामूहिक ऊर्जा का दायरा सामान्य तौर पर पड़ने वाले प्रभावों से अधिक शक्तिशाली होता है। इस सामूहिक ऊर्जा का प्रभाव दुनिया के प्रत्येक प्राणी को अधिक तीव्रता से प्रभावित करता है।

ग्रहों के विशेष समूह योग (STELLIUM)की कुंडली

कुंडली – 26.12.19 महासंयोग की कुंडली
26/12/2019 से 26/01/2019
तारीख :- 26/12/2019
समय: – सूर्योदय

उपरोक्त कुंडली दिनांक 26.12.19 की कुंडली है। इसी दिन जो योग निर्मित हो रहे हैं, उनका गुणन और फलन निकालने के लिए देश के जाने माने ज्योतिष धर्मेश जोशी जी ने इस कुंडली को तैयार किया है। आप कुंडली में देख सकते हैं कि, 6 ग्रह एक साथ एक भाव में बैठे हैं। इसी योग को प्रवज्या या सन्यासी योग कहा जाता है। इन ग्रहों के योग से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा के प्रभाव का अंदाजा लगा पाना बेहद जटिल प्रक्रिया है। क्योंकि सौरमंडल में मौजूद प्रत्येक ग्रह की अपनी ऊर्जा, प्रभाव और तत्व होते हैं । जब ये ग्रह किसी समूह में अपने विपरीत ग्रहों के साथ बैठ जाते हैं, तो इनके योग को समझना और उचित-अनुचित का अनुमान लगाना किसी सामान्य गणनाकार के बस से बाहर हो जाता है। इन शुभ-अशुभ ग्रहों के योग को समझने, इनके सकारात्मक-नाकारत्मक प्रभावों और उपायों को जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए गणेशस्पीक्स.कॉम के वरिष्ठ ज्योतिषी आचार्य धर्माधिकारी ने कड़ी मेहनत की है।

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कब और क्या होने वाला है?

16/12/2019 से 16/01/2020 तक का समय ग्रह-दशा के हिसाब से बेहद जोखिम भरा दिखाई दे रहा है। इस दौरान सभी ग्रह धीरे-धीरे एक भाव में एकत्र होते जाएंगे। 16/12/2019 से एक भाव में एकत्र होने की दिशा में बढ़ते हुए ग्रह 26/12/2019 तक एक भाव में एकत्र हो चुके होंगे। इस महासंयोग के बाद ग्रह पुनः एक-एक करके अपने मार्ग पर आगे बढ़ते जाएंगे, जिससे इस महायुति में बिखराव देखने को मिलेगा। महायुति के टूटने के साथ ही इन ग्रहों का सामान्य प्रभाव शेष रह जाएगा और इस महायुति के अप्रत्याशित प्रतिकूल प्रभावों का भी अंत हो जाएगा।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक ग्रह 1 या 2 घरों (भाव) का प्रतिनिधित्व करता है। जब कोई ग्रह अपने किसी घर में गोचर करता है, तो वह अपने साथ अपने तत्व और स्वभाव भी उस घर में लेकर आता है। जब ग्रह उपरोक्त कुंडली में दर्शायी गई स्थिति में होते हैं, तो वह जीवन में एकाग्रता और नए समीकरण बनाते हैं। लेकिन इस स्थिति में यह महत्वपूर्ण हो जाता है, कि इन ग्रहों का यह महासंयोग आपके किस घर में निर्मित हो रहा है। क्योंकि ग्रहों और घर के योग से ही ज्योतिष फल निकाला जा सकता है। उपरोक्त कुंडली के अध्ययन से पता चलता है, कि 26/12/2019 को बनने वाले इस महासंयोग से कुल 7 नकारात्मक योगों का निर्माण हो रहा है।

  1. (शनि-केतु) शापित दोष
  2. (गुरू-केतु) विप्र चांडाल दोष
  3. (सूर्य-केतु) ग्रहण दोष
  4. (चंद्र-केतु) ग्रहण दोष
  5. (सूर्य-शनि) संघर्ष दोष
  6. (चंद्र-शनि) विष दोष
  7. काल सर्प योग

इस महायुति गठन के प्रथम चरण में ग्रह एक साथ आने के लिए अपनी-अपनी अपनी धुरी पर घूमते हुए, निश्चित कक्षा में आगे बढ़ेंगे। जैसे ही ये ग्रह कुंडली में मौजूद भाव में एक साथ एकत्र होने लगेंगे, तब से लेकर इनके अलग होने तक प्रभावी रहने वाले इन 7 नकारात्मक संयोगों का आम जनमनस पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस दौरान आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

शापित दोष – शनि-केतु के मेल से उत्पन्न होने वाले इस दोष के कारण आपकी प्रगति की संभावनाओं में कमी आती है, और लगातार निराशा का भाव बना रहता है। चूंकि, जहां शनि जीवन की सभी संभावनाओं और घटनाओं को सीमित करता है, वहीं केतु प्रतिबंधों व अवरोधों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली के किसी भी भाव में इन ग्रहों का योग जीवन के लिए निराशाजनक ही है।

विप्र चांडाल दोष – वैसे तो कुंडली में गुरू का प्रभाव अमृत समान माना गया है। लेकिन गुरू और केतु के संयोग से बनने वाला यह दोष पूरी कुंडली को ही नकारात्मक फल देने के लिए प्रेरित करता है। इस दोष के कारण जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

ग्रहण दोष (सूर्य-केतु) – ज्योतिष में जब भी कभी परस्पर विरोधी विचारधारा वाले ग्रहों का संयोजन होता है, तो इसका असर जातक की समग्र कुंडली पर पड़ता है। सूर्य और केतु बिल्कुल विपरीत ग्रह हैं। सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा केतु के प्रतिबंधात्मक प्रभाव के कारण अवरुद्ध हो जाती है। इस नकारात्मक प्रभाव वाली युति के कारण जीवन की सामान्य प्रगति में भी अड़चनें आने लगती हैं। व्यक्ति अपनी क्षमताओं के अनुरूप पर्याप्त प्रदर्शन नहीं कर पाते। प्रतिभा संपन्न होने के बावजूद आगे बढ़ने में हिचकिचाते हैं।
वैसे तो यह दोष बेहद की प्रतिकूल और दुख देने वाली परिस्थिति का निर्माण करता है। लेकिन इस दोष के निवारण का बेहद ही सरल और आसान माध्यम है, सूर्य-केतु ग्रहण दोष निवारण यंत्र। आप इस यंत्र को किसी ज्योतिष सामग्री की दुकान से या घर बैठे इस लिंक पर क्लिक करके ख़रीद सकते हैं।

ग्रहण दोष (चंद्र-केतु) – हमारे मन को दर्शाने वाला चंद्रमा ही अगर हिंसक और विनाशकारी ग्रह केतु के प्रभाव में आ जाए तो व्यक्ति नकारात्मक विचारों की चपेट में आ जाता है। फलस्वरूप मानसिक शांति भंग हो जाती है।

संघर्ष दोष – यह दोष सूर्य-शनि के संयोग से निर्मित होता है। जहां सूर्य हमारे जीवन में सफलता और प्रसिद्धि का प्रतीक है, वहीं सूर्य का विरोधी शनि जीवन में विलंब और बाधाएं लेकर आता है। जब ये दो विषम स्वभाव वाले ग्रह कुंडली में एक साथ होते हैं, तो मनुष्य को पग-पग पर चुनौतियों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

विष दोष – यह दोष शनि-चंद्र के संयोग से निर्मित होता है। चंद्र तीव्र गति वाला ग्रह है, जो प्राणियों के मन व मानसिक स्वास्थ्य का सूचक होता है। इसके विपरीत, शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और समस्त पीड़ा व बाधाओं को दर्शाता है। इस दोष से स्मृति क्षमता का हास् होने के साथ ही मानसिक शांति भंग हो जाती है। इस दोष का प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में दुष्परिणाम के रूप में सामने आता है।

कालसर्प दोष – यह दोष जीवन की सफलताओं को प्रभावित करता है, और समृद्धि को बाधित कर देता है। इस दोष के कारण जीवन में अचानक प्रतिकूल उतार चढ़ाव, दुःख, अपमान, संघर्ष और दूसरी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इस दोष के दुष्प्रभाव जितने ख़तरनाक़ और तीव्र है, उतना ही आसान इस दोष का निवारण भी है। काल सर्प दोष निवारण यंत्र! इस दोष के दुष्प्रभावों को खत्म करने में सक्षम होता है। आप इस यंत्र को बाजार से या इस लिंक पर क्लिक करके घर बैठे ख़रीद सकते हैं।

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दिसंबर के अंत से जनवरी की शुरूआत तक रहने वाले ग्रहों के इस नकारात्मक संयोग के कारण उत्पन्न होने वाले इन दोषों का आंकलन आपके योग, कारक ग्रह, दशा और देश-काल को देखकर किया जा सकता है। दिसंबर से जनवरी के बीच रहने वाली इस स्थिति का अपनी निजी कुंडली पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करने के लिए आपको अनुभवी ज्योतिषी की आवश्यकता होती है। जो इन ग्रहों की युति और उनके दुष्प्रभावों का सटिक अनुमान और उसके निवारण के उपाय बता सके। गणेशास्पीक्स अपने अमूल्य पाठकों के लिए ऐसी सेवा प्रदान करता है। जिसके माध्यम से आप अपनी कुंडली और ग्रहों की स्थिति से उस में बन रहे नकारात्मक-सकारात्मक प्रभावों के प्रति सचेत रहते हुए, उनका निवारण कर अपना जीवन सामान्य से अधिक खुशहाल और सफलताओं से भरा बना सकते है। हमारे अनुभवी ज्योतिषीयों की सलाह लेने के लिए यहां क्लिक करें…!

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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