कहते हैं मां दुर्गा को सभी देवताओं ने अपनी शक्ति से उत्पन्न किया था। कई जगह उन्हें माता पार्वती का उग्र रूप भी कहते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां के विभिन्न रूपों का पता चलता है। साथ ही हमें ये समझ आता है कि माता के रूप कौन-कौन से हैं। सप्तशती के कई मंत्र या श्लोक माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है।
दुर्गा सप्तशती पाठ से भक्तों की कई मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, लेकिन यदि कोई भक्त पूरा पाठ नहीं कर सकते हैं, तो शास्त्रों में उनके लिए कई तरह के विधान है। मां दुर्गा के कई मंत्रों का जाप करके उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्रोत एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत जाप से इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है।
अपने कल्याण के लिए –
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
बाधा मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए सप्तशती का यह मंत्र जपे-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विपत्ति नाश के लिए-
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
रक्षा के लिए-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
स्वर्ग और मुक्ति के लिए-
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
विघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्
इन पवित्र मंत्रों को जपने के कोई खास नियम नहीं है, लेकिन जाप के दौरान शुद्धता रखना जरूरी है। इन मंत्रों को मां दुर्गा का नाम लेकर साल के किसी भी शुभ दिन अपनी इच्छा मां के सामने रखते हुए शुरू कर देना चाहिए। जप संख्या का कोई विधान नहीं है, लेकिन माना जाता है कि कम से कम 108 दिन बिना विघ्न के या रूके इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम