भविष्यवाणियों जन्माष्टमी पर कृष्ण कृपा से पाएं शनि दोष से छुटकारा

जन्माष्टमी पर कृष्ण कृपा से पाएं शनि दोष से छुटकारा

जन्माष्टमी पर कृष्ण कृपा से पाएं शनि दोष से छुटकारा

भगवान कृष्ण की कृपा यदि प्राप्त हो जाएं, तो व्यक्ति समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्त संभव है। माना जाता है कि कृष्ण अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं और सुपात्र को सबकुछ दे देते हैं। कृष्ण भगवान की पूजा से सभी ग्रहों के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं, लेकिन शनि की पीड़ा से बचना हो, तो भगवान कृष्ण की पूजा से सदैव लाभ मिलता है। शनि का भगवान कृष्ण के साथ विशेष संबंध रहा है। इस साल 2020 में जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी।

आठ अंक से है शनि और कृष्ण का संबंध

अंकशास्त्र में शनि ग्रह का संबंध आठ अंक से जोड़ा जाता है। वहीं भगवान कृष्ण का भी आठ अंक से विशेष जुड़ाव रहा है। माना जाता है कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार है। वहीं माता देवकी के वे आठवें पुत्र के रूप में जन्मे थे। यहीं नहीं उनका जन्म भी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। पूरे दिन के सात पहर बीत जाने के बाद भगवान कृष्ण आठवें पहर में पैदा हुए थे। यह आठ अंक भगवान से जीवनभर जुड़ा रहा है। इसलिए माना जाता रहा है कि भगवान कृष्ण की पूजा से शनि देव विशेष प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों को कोई कष्ट नहीं देते हैं।

शनि महाराज का कोकिलादेव मंदिर

माना जाता है शनि देव भगवान कृष्ण के परमभक्त हैं। श्रीकृष्ण के दर्शन पाने के लिए शनि देव ने कठिन तपस्या की थी। मथुरा से 60 किमी दूर कोकिलावन नामक स्थान पर श्रीकृष्ण ने शनि देव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। प्रत्येक शनिवार को आज भी यहां शनि देव का मेला भरता है। लोग करीब तीन से चार किमी की पैदल परिक्रमा भी करते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार चार सौ साल पहले भरतपुर के राजा ने करवाया था। गरुड़ पुराण और नारद पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख आता है। माना जाता है कि मथुरा के दर्शन के बाद इस जगह के दर्शन से शनि देव संबंधी पीड़ा का समापन होता है।

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कृष्ण कृपा से ग्रह दोष दूर

शनि के अलावा बृहस्पति,बुध जैसे शुभ ग्रह तो राहु-केतु जैसे पाप ग्रह भी अच्छा फल देने लगते हैं। गुरु की दशा या अंतर्दशा में जातक कृष्ण स्वरूप विष्णु की पूजा करते हुए ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करता है, तो काफी अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। वहीं भगवान विष्णु ने मोहिनी रूपधारण करके का दानव का गला अपने चक्र से काट दिया था। उसी दानव का मुख राहु और शेष भाग केतु कहलाता है। भगवान कृष्ण की पूजा और मंत्रों के जाप से राहु-केतु की भी शांति होती है।

भगवान कृष्ण के कुछ चमत्कारिक मंत्र

– कृं कृष्णाय नमः
– ओम नमो भगवते वासुदेवाय
– ओम क्लीं कृष्णाय नम:
– गोवल्लभाय स्वाहा
(इन सभी मंत्रों के जाप से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और धन-धान्य से घर भरा रहता है।)

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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