हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मास में दो चतुर्थी होते हैं। कृष्ण पक्ष में आने वाले चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष में आने वाले चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और सभी तरह के कष्टों को दूर करता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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2024 संकष्टी चतुर्थी कब है?
तारीख | समय | संकष्टी चतुर्थी | महीने |
जनवरी 29, 2024, सोमवार | प्रारम्भ – 06:10 ए एम, जनवरी 29 समाप्त – 08:54 ए एम, जनवरी 30 |
सकट चौथ, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी | माघ, कृष्ण चतुर्थी |
फरवरी 28, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 01:53 ए एम, फरवरी 28 समाप्त – 04:18 ए एम, फरवरी 29 |
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी | फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी |
मार्च 28, 2024, बृहस्पतिवार | प्रारम्भ – 06:56 पी एम, मार्च 28 समाप्त – 08:20 पी एम, मार्च 29 |
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी | चैत्र, कृष्ण चतुर्थी |
अप्रैल 27, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 08:17 ए एम, अप्रैल 27 समाप्त – 08:21 ए एम, अप्रैल 28 |
विकट संकष्टी चतुर्थी | वैशाख, कृष्ण चतुर्थी |
मई 26, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 06:06 पी एम, मई 26 समाप्त – 04:53 पी एम, मई 27 |
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी | ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी |
जून 25, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 01:23 ए एम, जून 25 समाप्त – 11:10 पी एम, जून 25 |
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी | आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी |
जुलाई 24, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 07:30 ए एम, जुलाई 24 समाप्त – 04:39 ए एम, जुलाई 25 |
गजानन संकष्टी चतुर्थी | श्रावण, कृष्ण चतुर्थी |
अगस्त 22, 2024, बृहस्पतिवार | प्रारम्भ – 01:46 पी एम, अगस्त 22 समाप्त – 10:38 ए एम, अगस्त 23 |
बहुला चतुर्थी, हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी | भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी |
सितम्बर 21, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 09:15 पी एम, सितम्बर 20 समाप्त – 06:13 पी एम, सितम्बर 21 |
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी | आश्विन, कृष्ण चतुर्थी |
अक्टूबर 20, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 06:46 ए एम, अक्टूबर 20 समाप्त – 04:16 ए एम, अक्टूबर 21 |
करवा चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी | कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी |
नवम्बर 18, 2024, सोमवार | प्रारम्भ – 06:55 पी एम, नवम्बर 18 समाप्त – 05:28 पी एम, नवम्बर 19 |
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी | मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी |
दिसम्बर 18, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 10:06 ए एम, दिसम्बर 18 समाप्त – 10:02 ए एम, दिसम्बर 19 |
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी | पौष, कृष्ण चतुर्थी |
संकटहरा चतुर्थी भी कहा जाता है
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। ये व्रत कर भक्त भगवान गणेश से कष्टों को हरने की प्रार्थना करते हैं। हिन्दू पंचाग के अनुसार ये व्रत हर माह की पूर्णिमा के चौथे दिन (कृष्ण पक्ष का चौथ ) किया जाता है। गणपति जी को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य माना गया है, और सारे संकट हर लेते हैं। पूरे साल में 13 संकष्टी चतुर्थी के व्रत होते हैं। संकष्टी चतुर्थी को तमिलनाडु में ‘गणेश संकटहरा’ या ‘संकटहरा चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है।
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संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे करें?
- सुबह शुद्ध पानी से नहा कर साफ कपड़े पहनें।
- भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन चढ़ाकर करें।
- उसके बाद गणेश की कथा का पाठ करें।
- भगवान गणेश का वंदन और मंत्रों का जाप करें।
- संध्याकाल गणेश जी की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत में क्या करें?
संकष्टी चतुर्थी का व्रत काफी कठिन होता है। इसमें किसी प्रकार के अनाज का सेवन ना करें। संकष्टी चतुर्थी के दिन फल, कंद-मूल खाया जा सकता है। शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद आप उपवास तोड़ सकते हैं। इस व्रत को तोड़ने के बाद शाम को आप साबूदाने की खिचड़ी, आलू और मूंगफली खा सकते हैं।
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संकष्टी चतुर्थी के लिए गणेश मंत्र
गणपति जी की पूजा आप इन मंत्रो से कर सकते हैं।
ॐ गं गणपतये नम:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
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