खगोल की दृष्टि से शनिसौर मंडल में शनि ग्रह सूर्य से ८८६ मिलियन मील दूर है जबकि आकार के हिसाब से शनि दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, जिसका व्यास ७५००० मील है। शनि के नौ उप ग्रह हैं एवं उसके आस पास धूल, कण एवं आकाशीय उल्काओं का मनमोहक तथा रंगबरंगा प्रकाशमान अंगूठी नमुना घेरा होता है, जो सौर मंडल में उसको सबसे खूबसूरत ग्रह बनाता है। शनि ग्रह पृथ्वी की तुलना में ७०० गुना बड़ा है। हालांकि, उसकी द्रव्यता पृथ्वी की तुलना में १००वें हिस्से की है।
ज्योतिष की दृष्टि से शनि इस वर्ष नवंबर में शनि राशि परिवर्तन करेगा, जो अधिक महत्वपूर्ण ग्रहीय परिवर्तन माना जा रहा है, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि पापी ग्रह है। शनि ढ़ाई वर्ष में राशि परिवर्तन करता है इसलिए शनि के राशि परिवर्तन के पश्चात किसी भी राशि पर इसका प्रभाव ढ़ाई वर्ष तक देखने को मिलता है। यदि आप शनि से भयभीत है या आपको लगता है कि आपके जबरदस्त प्रयासों के बाद भी आपको सही परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो आप ज्योतिषी से बात कीजिए । हो सकता है कि आपकी कुंडली में शनि दोष हो। हमारी निशुल्क रिपोर्ट – शनि दोष – के द्वारा भी आप ये पता लगा सकते हैं।
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इस वर्ष २ नवंबर २०१४ को शनि अपनी उच्च की राशि तुला को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहा है। शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। इसके अलावा धनु जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है। सिंह व मेष जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी। आम तौर पर शनि को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि दास है। इसका रंग सांवला है एवं लंगड़ा होने के कारण इसकी गति धीमी है। इसको सूर्य पुत्र माना जाता है। हालांकि, इस ग्रह को सूर्य के विरोधी ग्रहों में गिना जाता है। शनि का वाहन कौआ है। उत्तर कालामृत के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में शनि निम्नलिखित मामलों में कारक की भूमिका निभाता है।
1. कमजोर स्वास्थ्य
2. बाधाएं
3. रोग
4. दुश्मनी
5. मृत्यु
6. अन्य जातियां
7. दीर्घायु
8. नंपुसकता
9. वृद्धावस्था
10. काला रंग
11. क्रोध
12. विकलांगता
13. संघर्ष
शनि मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। इसके अलावा तुला राशि में २० अंश उच्च का है जबकि मेश राशि में २० अंश नीच का है। इसकी मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। इसको दुख व शोक का कारक भी माना जाता है। २ नवंबर २०१४ की रात को शनि महाराज तुला राशि छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के इस राशि परिवर्तन के कारण हर राशि पर अलग अलग प्रभाव पड़ेगा।
राशि अनुसार शनि पारगमन का प्रभाव –
मेष :आपकी राशि से ८वें स्थान में शनि परिभ्रमण करेगा, जो छोटी सी पनौती का सूचक है। आर्थिक तौर पर आपको थोड़ा सा संघर्ष करना पड़ सकता है। इससे कार्यों की विकास गति प्रभावित होगी। इस समय आपको सूर्य भगवान की और सूर्य यन्त्र की पूजा करनी चाहिए।
वृषभ :आपकी राशि से सातवें स्थान में शनि पारगमन करेगा, जो स्थान गृहस्थ जीवन व सहभागिता का है। इस पारगमन के कारण आपके अपने जीवन साथी के संबंध बिगड़ सकते हैं। यदि आप हिस्सेदारी में कारोबार कर रहे हैं, तो दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इस समय गणेशजी की सलाह है कि आपको धैर्य रखना चाहिए। इस समय राजनीति, पीआर, समाज सेवा एवं मास मीडिया से जुड़े जातकों को थोड़ा सा संभलकर चलने की जरूरत रहेगी।
मिथुन :आपकी राशि से छठे स्थान में शनि का पारगमन होगा। इसको देखते हुए गणेशजी कहते हैं कि आपको स्वास्थ्य संबंधी शिकायत होने की संभावना है। इसके अलावा गुप्त शत्रु आपको हराने की कोशिश कर सकते हैं। इस समय आपको लोन आसानी से मिल सकता है, यदि पहले से लोन चल रहा है तो आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। नौकरीपेशा जातकों को सहकर्मियों से सहयोग नहीं मिलने की संभावना है। नौकरी में दिक्कत पेश आ सकती है। इस समय शिव यंत्र की पूजा लाभदायक है।
कर्क :आपकी राशि से पांचवें स्थान में शनि पारगमन करेगा, लेकिन राहत की बात है कि गुरू पारगमन अभी आपके अनुकूल है, जो आपको किसी बड़ी दिक्कत से बचाएगा। इसके अलावा छात्र वर्ग को शनि पारगमन प्रभावित करेगा, जिसके कारण अधिक मेहनत के बावजूद कम नंबर मिलने की संभावना है। जो दंपति बच्चे की आशा रखते हैं, उनको मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जो शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको इस समय ज्योतिषीय सलाह के अनुरूप निवेश करना चाहिए।
सिंह :आपकी राशि से चौथे स्थान में शनि पारगमन कर रहा है, जो छोटी पनौती का संकेत दे रहा है। यह स्थान सुख, हृदय, माता, मातृभूमि, चल अचल संपत्ति से संबंधित है। इसलिए यह पारगमन आपको मानसिक रूप से बेचैन करेगा। इसके अलावा आपको उन चीजों का अहसास करवाएगा, जो आपके पास उपलब्ध नहीं हैं। गणेशजी के अनुसार आपको स्फटिक शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पण करना चाहिए।
कन्या :आपकी राशि से तीसरे स्थान में शनि देव पारगमन करेंगे, जो भाई तथा साहस का स्थान है। यह स्थान मित्र, साहस, रिश्तेदार का भी सूचक है। इस स्थान में शनि के पारगमन के कारण भाई बहन के साथ आपके संबंध कुछ समय के लिए बिगड़ सकते हैं। यदि आप नया साहस करना चाहते हैं तो पूरी योजना बनाने के बाद आगे बढ़ें। कानूनी मामलों में बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। इस समय किसी पर भी आंख मूंदकर विश्वास न करें।
तुला :आपकी राशि से दूसरे स्थान में शनि पारगमन होगा, जो परिवार एवं धन से संबंधी गृह है। वैसे तो आपके लिए शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण है। लेकिन यह पारगमन आपकी आर्थिक विकास की दर की गति कम करेगा। आप शनि की कृपा दृष्टि के लिए लोहे तथा तेल का दान करें या श्री यंत्र की पूजा करें। इसके अलावा गणेशजी आप से कहते हैं कि अपने परिवारिक सदस्यों से बातचीत करते हुए विनम्रता रखें।
वृश्चिक :इस राशि में शनि देव प्रवेश करने जा रहे हैं। इस राशि में शनि अगले ढ़ाई वर्ष तक भ्रमण करेंगे। इस समय आपको मानसिक संताप रह सकता है क्योंकि शनि जन्म के चंद्रमा को कमजोर करेगा। इस समय आप शारीरिक थकावट महसूस करेंगे। वृश्चिक जातकों के लिए शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण है। इस समय आपको शनि से जुड़ी चीजों का दान करना चाहिए। शनि साढ़े साती यंत्र की पूजा करना काफी आवश्यक है।
धनु :आप के खर्च स्थान से शनि परिभ्रमण कर रहे हैं। इस स्थान का संबंध खर्च के अलावा कोर्ट कचहरी, व्यय, उधारी से भी होता है। धनु जातकों के लिए शनि की साढ़े साती का पहला चरण शुरू हो रहा है। इसलिए शनि महाराज को खुश करने के लिए आप साढ़े साती यंत्र की पूजा करें। इस स्थान से शनि का गुजरना अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा वर्तमान में आपकी राशि का स्वामी गुरू आपकी राशि से आठवें स्थान पर पारगमन कर रहा है, जो आपको पूर्ण रूप से मदद नहीं करेगा। इस समय धन खर्च में इजाफा होगा, यहां तक कि आपको धन उधार लेना पड़ सकता है।
मकर : आपके लाभ स्थान में शनि महाराज भ्रमण करेंगे, जिसके कारण आपके लाभ में कटौती होने की संभावना है। इसके अलावा दोस्तों के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। इस समय छात्र वर्ग आलसी हो सकता है, जिसके कारण पढ़ने में मन नहीं लगेगा। संतान की इच्छा रखते दंपति को सचेत रहने की जरूरत है।
कुंभ : आपकी राशि से दसवें स्थान में शनि पारगमन कर रहा है, जो कर्म का स्थान है। इस स्थान का संबंध कर्म के अलावा पिता, व्यवसाय, यश एवं मान सम्मान से भी है। इस गृह में शनि पारगमन के कारण पेशेवर व व्यवसायी जातकों को परेशानी होगी, क्योंकि उनके कार्य धीमी गति से आगे बढ़ेंगे। इस समय नया कारोबार शुरू करने के संबंध में फैसला न लें। पिता के साथ वैचारिक मतभेद रहने की संभावना है। जो जातक सरकारी काम काज से जुड़े हैं या अच्छे पदों पर विराजमान हैं, उनको इस समय यश प्राप्ति नहीं होगी। इस समय हनुमान चालीसा या हनुमान यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
मीन : आपकी राशि से नौवें भाव में शनि पारगमन होगा, जो कि भाग्य का स्थान माना जाता है। इस समय आप महसूस करेंगे कि आपकी अथक मेहनत व जोरदार प्रयासों के बाद भी आपको मनचाहा फल नहीं मिल रहा, क्योंकि भाग्य साथ नहीं दे रहा है। इसके कारण आपका मनोबल गिर सकता है। गणेशजी आप से कह रहे हैं कि आपको हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, क्योंकि शनि महाराज आपको केवल पहले किए गए कार्यों का फल दे रहे हैं। इस समय आपको शनि यंत्र की पूजा करनी चाहिए एवं गाय को चारा जरूर खिलाएं।
गणेशजी के आशीर्वाद के साथ,
श्री धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम