भविष्यवाणियों सावन में जानिए 12 ज्योर्तिलिंगों का महत्व

सावन में जानिए 12 ज्योर्तिलिंगों का महत्व

अठ्ठारह पुराणों में से एक शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की शक्ति के रूप में धरती पर 12 शिवलिंग को स्थापना की गई है। इन शिवलिंग को हम ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। देश के विभिन्न कोनों में बसे, ये ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम से केदारनाथ तक पूरे देश को एक सूत्र में बांधे रखे हैं। आइए जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंगों की कथा और उनके महत्व के बारे में…


गुजरात के सौराष्ट्र में स्थिति सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को दुनिया के पहले शिवलिंग के रूप में भी जाना जाता है। इतिहास में कई विदेशी आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को ध्वस्त किया, लेकिन हर बार भक्तों की श्रद्धा ने इसका पुनर्उत्थान किया है। मान्यताओं के अनुसार दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव ने यहीं पर आराधना की थी। इसी कारण इसे सोमनाथ अर्थात चंद्र के स्वामी के रूप में जाना जाता है।

आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को कैलाश पर्वत के समान माना गया है, और इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।

उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे भगवान शिव के प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग को काल अर्थात मृत्यु या समय का भी ईश्वर माना गया है। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रातः होने वाली भस्म आरती दुनियाभर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा से व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है। अकाल मृत्यु के भय और जीवन में चल रहे सभी संकटों से छुटकारा मिलता है।

मां नर्मदा के प्राकृतिक बहाव से पहाड़ों की एक बड़ी श्रंखला ओंकार के स्वरूप में दिखाई देती है। इसी ओम आकार पर्वतों के बीच स्थित ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। कुछ स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग को ममलेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

उत्तराखंड में हिमालय की गोद में स्थित यह शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंग में प्रमुख है। समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग के पट अप्रेल से नवंबर तक ही भक्तों के लिए खुलते हैं। दुर्गम चढ़ाई और भारी बर्फबारी के बीच केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा बेहद फलदायी मानी गई है। यह एक स्वयंभू शिवलिंग है, जिसका जीर्णोद्धार आदि गुरू शंकराचार्य ने करवाया था। हालांकि कुछ मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने इसकी स्थापनी की थी।

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महाराष्ट्र के पुणे जिले की सहृाद्रि पर्वत श्रंखला में मौजूद भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। विभिन्न मान्यताओं के अनुसार सूर्योदय के समय इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सात जन्मों के पाप दूर हो जाते है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित यह ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के नाम देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। मान्यताओं के अनुसार काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है और भगवान शिव स्वयं इस जगह की रक्षा करते हैं।यहां किसी प्रकार की कोई विपत्ति नहीं आ सकती। मान्यता है कि यहां कभी प्रलय भी नहीं आ सकता है।

गोदावरी नदी के किनारे बसे महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित इस ज्योतिर्लिंग से गौतम ऋषि और गोदावरी नदी की कहानी भी जुड़ी है। मान्यता के अनुसार ऋषि गौतम और गोदावरी नदी के आग्रह पर भगवान शिव ने खुद को यहां त्र्यंबकेश्वर के रूप में स्थापित किया था। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी प्रकार के पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

झारखंड के देवघर में स्थित इस शिवलिंग के स्थापना की कहानी रावण की भूल और भगवान शिव की इच्छा से हुई। मान्यताओं के अनुसार इस शिवलिंग के समक्ष सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है, इसीलिए इसे कामना लिंग भी कहा जाता है।

गुजरात के द्वारिका से लगभग 17 किमी दूर स्थित यह शिवलिंग, भगवान शिव की एक शक्ति का अन्नय स्वरूप है। पौराणिक कथा के अनुसार भक्तों के दुख और विपत्तियों का नाश करने के लिए प्रकट हुए भगवान शिव यहां नागेश्वर के रूप में निवास करते हैं। मान्यता के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा सुनने मात्र से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है, और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

तमिलनाडु में स्थित यह ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण चार धामों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को राम के ईश्वर अर्थात रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद के नजदीक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव स्वयं यहां निवास करते है। ईर्ष्या, भक्ति और पुत्र प्रेम से जुड़ी यह कथा भगवान के प्रकट होने और वरदान के रूप में धरती पर बसने की कहानी है। मान्यता के अनुसार घृष्णेश्वर अथवा घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से लोक-परलोक दोनों के सुख प्राप्त होते है। इस ज्योतिर्लिंग का पुनर्उथान देवी अहिल्या बाई होलकर ने करवाया था।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम


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