ॐ की ध्वनि से निकलने वाली कंपन के सामान अनंत तक फैले इस विशाल ब्रह्मांड में दिन प्रति दिन अनेक रोचक घटनाएं घटती रहती है। वैसे फिलहाल हम 12 राशियों, 27 नक्षत्रों और सौरमंडल में घटने वाली कुछ घटनाओं को ही पहचान और चिन्हित कर पाएं है। ऐसी ही एक घटना है सूर्य ग्रहण जो प्राचीन समय से ही मानव जाति को अपनी ओर आकर्षित करती आई है। सामान्य तौर पर अपनी कक्षा में सूर्य की परिक्रमा के दौरान जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ग़ौरतलब है कि पृथ्वी सूर्य की और च्रंदमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, इसी प्रक्रिया के दौरान कभी-कभी पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से जुड़ा एक और रोचक तथ्य यह है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की स्थिति एक विशेष परिस्थिति में ही निर्मित होती है। सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन और चंद्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा के दिन घटित होने वाली घटना है। पूर्णिमा और अमावस्या चंद्रमा की कक्षा में 180 डिग्री के विपरीत कोण पर घटने वाली घटना है।
26 दिसंबर 2019 को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण
वैसे साल 2019 सूर्य ग्रहण के लिहाज से काफी अहम साबित हुआ। इस साल ज्योतिषियों और खगोलशास्त्रियों ने तीन सूर्य ग्रहण का अनुमान लगाया था। इस क्रम में साल का पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी 2019 को दिखाई दिया। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण था जो भारत में दिखाई नहीं दिया। वहीं दूसरा सूर्य ग्रहण भारतीय समय अनुसार 2 जुलाई 2019 की मध्य रात्रि 11:31 से 2:17 के बीच न्यूजीलैंड के तट से ब्राजील, पेरू, चीली और कोलंबिया जैसे देशों में दिखाई दिया। साथ ही प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ अन्य देशों में भी इस आंशिक सूर्य ग्रहण देखा गया।
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भारत में इस समय यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
26 दिसंबर के दिन साल तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि यह पूर्वी यूरोप, उत्तर-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका के साथ-साथ भारत में भी दिखाई देगा। कुछ खगोलशास्त्रियों के अनुसार 26 दिसंबर का सूर्य ग्रहण भारत के खूबसूरत राज्य केरल के चेरूवथुर में देखा जा सकेगा। 26 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण सुबह 8:17 से 10:57 तक दिखाई देगा। लगभग 2 घंटे 40 मिनट घंटे लंबे इस सूर्य ग्रहण में 9:24 से चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढ़ंकना शुरू कर देगा और 9:26 तक चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ग्रहण कर चुका होगा जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण या खग्रास सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वयलाकार सूर्य ग्रहण होगा इस प्रकार के ग्रहण में सूर्य आग की अंगूठी के समान दिखाई देता है। क्योंकि इस तरह के ग्रहण में चंद्रमा पूर्ण रूप से सूर्य के सामने आ जाता है, लेकिन आकार में सूर्य से कई गुना छोटे होने के कारण वह उसे पूरी तरह ढांक नहीं पाता और सूर्य की बाहरी सतह किसी प्रज्जवलित अंगूठी की तरह दिखाई देने लगती है। यह नज़ारा बेहद लुभावना और मन मोहक होता है। लेकिन इसे नग्न आंखों से देखने की ग़लती न करें, क्योंकि इस दौरान धरती पर पड़ने वाली रोशनी नग्न आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
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