31 अगस्त, 2018 वो दिन जब भारतीय टेलिकम्युनिकेशन सेक्टर की कभी दिग्गज मानी जाने वाली दो प्रमुख कंपनी वोडाफोन और आइडिया। एक दूसरे में समा कर एक हो गयीं। मतलब इन दोनों कंपनियों का विलय करके एक नयी कंपनी बना दी गयी जिसका नाम रखा गया “वोडाफोन आइडिया लिमिटेड”। ये कंपनी एक टेलीकॉम कंपनी है, और एक जीएसएम ऑपरेटर है। जो भारतीय जनता को 2जी, 3जी और 4जी वीओएलटीई मोबाइल सेवाएं प्रदान करती है। इसके साथ-साथ ये मोबाइल भुगतान, अन्य व्यापारिक लेन-देन के काम और मनोरंजन के लिए सेवाएं भी प्रदान करती है। यह समस्त भारत में में डिजिटल चैनल और ऑन-ग्राउंड टच-प्वाइंट सुलभ कराती है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड भारत की दूसरी और दुनिया में छठी सबसे बड़ी मोबाइल दूरसंचार नेटवर्क कंपनी है।
लेकिन इनके विलय में सबसे अहम्, बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है रिलायंस जिओ का। जिसने साल 2016 में टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखकर तहलका मचा दिया था। छः महीनों तक अपनी फ्री सेवायें देने के बावजूद भी जिओ ने सबको पछाड़ दिया और टेलिकम्युनिकेशन सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। लेकिन अब जब वोडाफोन और आइडिया दो कंपनियां मिलकर एक हो गयी हैं, तो क्या ये जिओ की आंधी का सामना कर पाएंगी? क्या ये एक बार फिर जिओ से आगे निकल पाएंगी? और क्या जिओ की आंधी में कहीं खो चुके अपने पुराने अस्तित्व को फिर से स्थापित कर पाएंगी? गणेशास्पीक्स डॉट कॉम के अनुभवी ज्योतिषियों ने इसका विश्लेषण किया है। आइये जानते हैं…
लेकिन हम वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का ज्योतिषीय विश्लेषण करने से पहले कुछ अन्य पहलुओं पर विवेचना करना चाहेंगे।
वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर लिमिटेड का विलय आख़िर क्यों किया गया?
- टेलीकॉम सेक्टर में भारी टैरिफ वॉर देखी जा रही थी।
- लागत और लाभ के अंतर को काफी हद तक कम करना।
- दोनों कम्पनियाँ कुल 1.15 लाख करोड़ के संयुक्त कर्ज में डूबी हुई थीं।
- टेलीकॉम ऑपरेटर रिलायंस जिओ की वजह से इनके लाभ में कमी आ गयी थी।
- कंपनी की लागत और पूंजीगत व्यय को कम करने और दूरसंचार क्षेत्र में गला काट प्रतिस्पर्धा से राहत पाने के लिए।
इन दोनों कंपनियों के एक होने से ग्राहकों को क्या लाभ हुआ?
- ग्राहक पहले से बेहतर नेटवर्क और बेहतर कवरेज प्राप्त कर पा रहे हैं।
- ग्राहक रिलायंस जियो के समान मूल्य पर ही सेवाएं प्राप्त कर पा रहे हैं।
- ग्राहकों ने मोबाइल फोन रिचार्ज और फोन बिलों के भुगतान करने में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा।
- क्योंकि दोनों कंपनियां की संबंधित वेबसाइट अभी भी अपने पुराने डोमेन पर ही काम कर रही हैं।
- विलय की गई इकाई सेलुलर टावरों का अधिक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया करवा रही है।
- ग्राहक नई तकनीक का लाभ उठा रहे हैं, क्योंकि विलय की गई इकाई की डिजिटल सेवाओं पर बेहतर पकड़ हुई है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का प्रदर्शन और बाजार में हिस्सेदारी क्या है?
- वोडाफोन आइडिया के डाटा उपयोगकर्ताओं में 2% की गिरावट आयी है।
- कंपनी के राजस्व में 4.3% की कमी और लाभ में 22% की भारी गिरावट आयी है।
- जून 2019 की रिपोर्ट के अनुसार वोडाफोन आइडिया लिमिटेड अधिक बिक्री के लिए संघर्ष कर रही है।
- दो साल पहले वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर लिमिटेड की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 42.5% थी।
- वोडाफोन आइडिया के ग्राहक लगातार कम होते जा रहे हैं। बाजार की हिस्सेदारी में वोडाफोन आइडिया की 27.8% तक गिरावट आयी है।
- वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के न्यूनतम रिचार्ज प्लान ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं। जिससे कंपनी को अपने प्लान योजना में बदलाव करने पड़ रहे हैं।
- वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को 2019 की अग्रणी कंपनियों भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के सामने बाजार में टिके रहने के लिए एक चुनौती पूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का ज्योतिषीय विश्लेषण
विलय की तारीख़ – 31 अगस्त, 2018
समय – अज्ञात
स्थान – मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
कुंडली – सूर्य कुंडली
क्या कहती है वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की कुंडली?
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की सूर्य कुंडली में स्वामी मंगल, केतु के साथ-साथ उच्च श्रेणी का संयोजक है और बुध, राहु से पीड़ित है। जबकि सूर्य इसकी राशि में स्थित है। चंद्रमा और बृहस्पति विरोध में हैं और शुक्र कमज़ोर है।
वर्तमान बृहस्पति का पारगमन व्यापार के दसवें भाव को प्रेरित कर रहा है, तथा दूसरी ओर, वर्तमान शनि-केतु का पारगमन जन्म के शनि पर चल रहा है। जो संभवत: इतनी आसानी से वांछित व्यापार करने के लिए सहयोगी नहीं दिखाई दे रहे हैं।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की बिक्री और बाजार में हिस्सेदारी लगातार क्यों घट रही है?
वर्तमान में राहु का लाभ के ग्यारहवें भाव से पारगमन हो रहा है। जो वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की बाजार हिस्सेदारी में निरंतर कमी का मूल कारण हो सकता है। इसके अलावा, प्रतियोगिता का भाव मंगल-केतु द्वारा प्रभावित है, जिससे कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अपने उत्पादों में किस तरह का सुधार किया है?
शनि की दृष्टि सातवें भाव पर है जो साझेदारी का पहलू है। जो यह बताता है कि वोडाफोन आइडिया टीम को कुछ नवीन विचार और योजना लाने की आवश्यकता है। जो ग्राहकों को आकर्षित कर सके और अपनी बाज़ार हिस्सेदारी में सुधार कर सके। इसके अलावा, दोनों को कॉल-ड्रॉप मुद्दों पर काम भी करने की आवश्यकता है। जिसका सामना कई ग्राहक कई बार कर चुके हैं। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को ग्राहकों को बेहतर सेवा देने और उनका विश्वास फिर से जीतने के लिए अपनी एकाधिकार नीतियों को अलग रखने की जरूरत है।
बुध-राहु संयोजन इंगित करता है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को होर्डिंग, टीवी, एफएम रेडिओ आदि पर विज्ञापनों के माध्यम से नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, अपने चित-परिचित प्रतीक ज़ूज़ू के साथ भी कुछ नए और रचनात्मक विज्ञापन साथ करने चाहिए। क्योंकि इससे कंपनी को बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
आने वाले समय में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की वित्तीय स्थिति कैसी रहेगी?
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का आने वाला समय आर्थिक रूप से आसान नहीं होगा। क्योंकि वर्तमान में शनि-केतु के गोचर से कंपनी की वित्तीय राह में कुछ बाधाएँ आ सकती हैं। इसलिए वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को कदम दर कदम आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी है। कंपनी को जनवरी 2020 के मध्य तक कोई प्रमुख वित्तीय निवेश करने से बचना चाहिए। आने वाले भविष्य में इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों से कड़ी टक्कर हो सकती है।
क्या वोडाफोन आइडिया लिमिटेड अपनी नई योजनाओं और उत्पादों के साथ दूरसंचार क्षेत्र में वापसी कर पाएगी?
इसका जवाब हां में होगा। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड 2019 के अंत तक दूरसंचार क्षेत्र में नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कुछ नई योजनाओं और नए उत्पादों के साथ वापस आने की कोशिश कर सकती है। जो कंपनी को कुछ हद तक आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं। जैसा कि वर्तमान पारगमन के दौरान बृहस्पति दृष्टि दसवें भाव पर है जो व्यापार का कारक है। हालांकि कंपनी के लिए आने वाला समय आसान नहीं होगा, जैसा कि पारगमन में बताया गया है, उनके कौशल और धैर्य की परीक्षा हो सकती है।
इसके अलावा हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नयी आर्थिक नीतियों के तहत बाजार में सभी लेटिकॉम कंपनियों को सामान हिस्सेदारी देने के लिए फैसला लिया की जिन कंपनियों पर अधिक ऋण बकाया है। उनको ऋण चुकाने के लिए समय सीमा बढ़ायी जाये। ताकि वे अपना ऋण चुका सकें। लेकिन वो समय सीमा कितनी बढ़ायी जाएगी, इसका अंतिम फैसला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट करेगी। जिसके आने के बाद इन कंपनियों की स्थिति और अधिक स्पष्ट हो पायेगी।
क्यों कंपनी की न्यूनतम रिचार्ज की नई योजना असफल रही?
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, प्रतिस्पर्धा का भाव मंगल-केतु द्वारा पीड़ित है, जो वांछित राजस्व में निरंतर कमी को इंगित करता है। जो अंततः कंपनी की न्यूनतम रिचार्ज की नई योजना को भी प्रभावित करता है। जिसे कंपनी ने अधिक राजस्व उत्पन्न करने और ग्राहकों के रुझान को बनाये रखने के लिए शुरू किया था।
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