भविष्यवाणियों मकर संक्रांति 2024: सफलता के नए रास्ते खोलें सूर्य पूजा से

मकर संक्रांति 2024: सफलता के नए रास्ते खोलें सूर्य पूजा से

मकर संक्रांति 2024: सफलता के नए रास्ते खोलें सूर्य पूजा से

हिंदू धर्म में त्यौहारों की तारीख तय करने के लिए चंद्रमा की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए अक्सर कई बार त्योहारों की तारीख और पूजा के शुभ मुहूर्त को लेकर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। फिलहाल नए साल की शुरुआत के साथ ही कुछ दिनों में लोहड़ी और मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। लेकिन हर साल मकर संक्रांति की सही तारीख को लेकर उलझन की स्थिति होती है कि मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा या 15 जनवरी को। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इस वर्ष मकर सक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी के दिन ही मनाया जाएगा। मकर संक्रांति जैसा की नाम से स्पष्ट होता है। मकर जो कि एक राशि है और संक्राति का अर्थ होता है संक्रमण अर्थात प्रवेश करना लेकिन हिंदू धर्म में संक्राति का अर्थ सूर्य के प्रवेश से लगाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस क्रिया को संक्रांति कहा जाता हैं।

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कब है मकर संक्रांति

इस साल सूर्य 14 जनवरी के दिन मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसलिए मकर संक्रांति साल 2024 में 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति 2024 तारीख –14 जनवरी

मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 04:24 PM से 04:52 PM (00 घण्टे 28 मिनट्स)

सूर्य होते हैं उत्तरायण

मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने का तात्पर्य सूर्य का उत्तरी गोलार्ध पर सीधे होना है। दरअसल मकर एक राशि है और ग्लोब पर यह एक काल्पनिक रेखा है, जो भूमध्य रेखा से साढ़े तेइस डिग्री पर काल्पनिक रूप से मौजूद है। ज्योतिषीय गणनाकारों के अनुसार जब सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उनकी पृथ्वी पर उनकी किरणें प्रत्यक्ष तौर पर काल्पनिक मकर रेखा के लंबवत होती है। सूर्य की किरणों का मकर रेखा पर सीधा गिरना एशिया और भारतीय उप महाद्वीप में दिन के समय में बढ़ोतरी करता है। इससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है और इससे मनुष्य की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इसी खुशी और सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए भारत सहित कई पड़ोसी देशों में सक्रांति का पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।

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मकर संक्रांति का महत्व

माना जाता है कि मकर सक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान दान और पूजा आदि करने से जातक के पुण्य में हजार गुना तक बढ़ोतरी होती है। इसी के साथ संक्राति के दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह भी शुरुआत होती है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन भी माना जाता है।

मकर संक्रांति को दान का लाभ

मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस दिन पवित्र नदियों या कुंड में स्नान, दान, जप, तप और अनुष्ठान का अधिक महत्व माना गया है। इस अवसर पर किया गया दान का पुण्य सौ गुना तक बढ़ जाता है।

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मकर संक्रांति पर खरमास समापन

हिंदू धर्म में ऐसे कई महीने हैं जिन्हें शुभ नहीं माना गया है। इन महीनों के दौरान किसी भी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। ऐसा ही एक माह खरमास भी होता है। मकर संक्रांति के दिन 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश के साथ ही एक मास से चले आ रहे खरमास का समापन हो जाएगा।

मकर सक्रांति पर पतंग महोत्सव क्यों

पुरातन काल से ही मकर सक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का चलन रहा है। मौजूदा दौर में कुछ लोग मकर सक्रांति को पतंग महोत्सव के नाम से भी जानते हैै। इस दिन लोग अपनी-पनी छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं। हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है। मकर सक्रांति के समय सर्दी अपने जोरों पर होती है और ऐसे सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है।

तिल का दान करना है श्रेष्ठ

मकर संक्रांति के दिन तिल दान की परंपरा है और लोग तिल से बने खाद्य पदार्थ का भी सेवन करते हैं। इसके धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी हैं।

तिल के धार्मिक पहलू

– मकर संक्रांति के दिन तिल दान से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।

– तिल दान या तिल से बनी सामग्री ग्रहण करने से कष्टदायक ग्रहों से छुटकारा मिलता है।

– मान्यता है कि माघ मास में प्रतिदिन तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

– मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। सूर्य पुत्र होने के बावजूद उनका सूर्य से शत्रुवत संबंध होता है। ऐसे में शनि के भाव में सूर्य की उपस्थिति से कष्ट न हो, इसलिए मकर संक्रांति के दिन तिल का दान और सेवन किया जाता है।

तिल के वैज्ञानिक पहलू

– तिल और गुड़ गर्म होते हैं। इसके सेवन से शरीर गर्म रहता है।– तिल तेल से शरीर को भरपूर नमी भी मिलती है।

– तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

– तिल के सेवन से शरीर को भरपूर कैलोरी हासिल होती है। – तिल एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर में मौजूद कीटाणुओं का नाश करता है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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