भविष्यवाणियों श्रावण शिव पूजा 2023: सावन महीने में शिव पूजा कैसे करें

श्रावण शिव पूजा 2023: सावन महीने में शिव पूजा कैसे करें

श्रावण शिव पूजा 2023: सावन महीने में शिव पूजा कैसे करें

इस वर्ष श्रावण या सावन मास 17 अगस्त 2023 को शुरू होकर 15 सितंबर 2023 तक पश्चिम और दक्षिण भारत के लिए रहेगा और 4 जुलाई 2023 से 31 अगस्त 2023 तक उत्तर भारत के लिए रहे। गुरु पूर्णिमा के बाद सावन की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू कैलेंडर में सावन मास को सबसे पवित्र मास के रूप में जाना जाता है। खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए यह माह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूरा माह ही शिव को समर्पित है। इस माह में भक्त भगवान शिव के लिए व्रत-उपवास व अनुष्ठान इत्यादि करते है। सप्ताह के सातों दिनों में सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसीलिए श्रद्धालुओं द्वारा सावन के हर सोमवार को व्रत रखा जाता है, तथा इसे श्रावण या सावन सोमवार के नाम से भी जाना जाता है। व्रत के दिन शिवमंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना, मंत्रोच्चार व आरती की जाती है। इस पूरे माह में हज़ारों शिवभक्त कंधे पर कावड़ लेकर पैदल कावड़यात्रा करते हुए दिखाई देते है। इस मास में आने वाली शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि माना जाता है और इस दिन श्रद्धालू कावड़ यात्रा के समापन के रूप में अपनी कावड़ में किसी पवित्र नदी से भरा गया शुद्ध जल शिवलिंग को अर्पित करके भोलेनाथ को अपनी आस्था प्रकट करते हैं।

आइए हम विस्तार से जानें कि सावन में शिव पूजा कैसे करें, शिव पूजा से गृह दोष निवारण, किस शिवलिंग की पूजा से कौन से फल प्राप्त होते हैं और सावन के महीने में शिव पूजा का महत्व क्या होता है।

सावन में शिव पूजा का महत्व

एक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन श्रावण मास में हुआ था और इस मंथन में समुद्र से सर्वप्रथम हलाहल नामक विष निकला था। यह विष इतना भयानक था कि इसकी ज्वाला से समस्त सृष्टि जलने लगी थी। तब भगवान शिव ने इस विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। माता शक्ति ने उस विष को भगवान शिव के कंठ में ही रोक दिया था जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और तभी से शिव नीलकंठ के नाम से भी जाने जाते है। इस विष के सेवन से पैदा हुई गर्मी से भगवान शिव को अत्यंत पीड़ा और जलन सहनी पड़ी थी। इसी पीड़ा और जलन को शांत करने के लिए सावन में शिव का जलाभिषेक करके उन्हें आभार व्यक्त किया जाता है।

श्रावण मास का खास महत्व होने का कारण यह भी है कि यह मास अपनी दिव्यता से हमारे अंतःमन को शुद्ध और पवित्र करता है। इस माह आप शिव की तल्लीनता से भक्ति करते है और शिव आशीर्वाद के रूप आपके भाग्य के अवरोधी ग्रहों के प्रभाव को नष्ट करते है। शिव की दिव्य दृष्टि से आपके ग्रहों का कुछ ऐसा संयोग बनता है कि आपके जीवन में शांति, समृद्धि और उन्नति चहुँओर से दस्तक देती है। आपके मन में आध्यामिकता जागृत होती है। सावन के दौरान लोगों के लिए भगवान शिव की भक्ति इतनी महत्वपूर्ण इसीलिए है, क्योंकि यह वह महीना है, जब भगवान शिव की दिव्यता इतनी अधिक होती है कि अनंत आकाशीय ब्रह्मांड में शिव ही सर्वशक्तिमान होते है। सावन में शिव पूजा से भगवान शिव की असीम कृपा तो प्राप्त होती ही है, साथ ही साथ सकारात्मकता, ग्रहदोषों का निवारण, नकारात्मक ऊर्जा में कटौती के साथ-साथ पुराने रोगों का उपचार और समाधान भी मिलता है। हमारे विशेषज्ञों के सहयोग से इस सावन में आप भी अपने जीवन में आ रही बाधाओं को दूर कर सकते है। अपने लिए आज ही श्रावण सोमवार शिव पूजा के लिए बुक करें।

ऐसे करें भगवान शिव पूजा

ऐसा माना जाता है कि सावन मास में शिव पूजा का विशेष महत्व है। शिव भक्क्तों को शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और अपनी ग्रहदशाओं में संतुलन लाने के लिए शिवचालीसा का पाठ करना चाहिए। यह मान्यता है कि शिव चालीसा का पाठ करने से या शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है, तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार शिवचालीसा में स्वास्थ्य, धन-समृद्धि और यश प्रदान करने की अकल्पनीय शक्तियां होती है।

श्रावण में भगवान शिव की पूजा करने की विधि

– श्रावण सोमवार का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है। शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना अत्यंत शुभकर माना जाता है। लेकिन इस दिन व्रत रखने वाले उपासक को दोष का सेवन नहीं करना चाहिए।

– श्रावण के दौरान मांस- मदिरा से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। भक्तों को बैंगन खाने से भी बचना चाहिए क्योंकि पुराणों के अनुसार सावन मास में इसे अशुद्ध माना जाता है।
– भक्तों को भगवान शिव की पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा सुनने की भी सलाह दी जाती है।
– भक्तों को श्रावण मास में सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
– भक्तों को यह भी सलाह दी जाती है कि शिव का अभिषेक करते समय हल्दी का प्रयोग न करें।
– घर में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए, भक्तों को घर में गंगा जल छिड़कना तथा देवी पार्वती और भगवान नंदी को दूध चढ़ाना चाहिए।
– भगवान शिव की पूजा करते समय, आप उन्हें बेल पत्र या धतूरा, भांग, चंदन और चावल चढ़ाया जा सकता हैं।
– श्रावण मास के दौरान भक्तों को संयम का अभ्यास करना चाहिए और ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।

ग्रहों के दोष दूर

श्रावण के दौरान सर्वशक्तिमान भगवान शिव की पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही जीवन में सरलता का भी आभास होता है। भगवान शिव के आशीर्वाद से ग्रहदोषों के कारण होने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा में उनकी मनपसंद आवश्यक सामग्री जैसे असली रुद्राक्ष, शहद, घी, बेलपत्र आदि के साथ योग्य पंडित द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन के अनुसार पूजा की जाती है। आप भी अपनी कुंडली में बन रहे ग्रहदोष के नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा पाने हेतु अभी शिव पूजा के लिए रजिस्टर करें।

शिवलिंग के प्रकार और उनके लाभ

शिवलिंग को शिव और शक्ति का एकीकृत रूप माना जाता है। यह सृष्टि के उन सर्वोच्च पुरुष और स्त्री की ऊर्जा को दर्शाता है, जिन्होंने इस ब्रह्मांड को बनाया है। अग्नि पुराण में कहा गया है कि सभी चेतन और निर्जीव चीजें शिवलिंग से निकली हैं। शिवलिंग ब्रह्मांड की समग्रता का प्रतिनिधित्व करता है। सावन में शिव पूजा के साथ साथ विभिन्न शिवलिंग की पूजा का भी अपना महत्त्व है। आइये जानते है कि किस शिवलिंग की पूजा से क्या लाभ प्राप्त होते है।

शिवलिंग के प्रकार

1. पारद शिवलिंग:- पारद शिवलिंग अक्सर घर, ऑफिस, दुकान आदि जगहों रखा जाता है। इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य का आगमन होता हैं।
2. मिश्री शिवलिंग:- यह शिवलिंग चीनी या मिश्री से बना होता हैं। इसकी पूजा करने से रोगों का नाश होता है और पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं।
3. जौं और चावल से बने शिवलिंग:- पारिवारिक समृद्धि के लिए इसका पूजन होता हैं। जो दम्पति संतानसुख से वंचित हैं उन्हें संतान-सुख की प्राप्ति होती हैं।
4. भस्म शिवलिंग:- यज्ञ की भस्म से बनाए गए इस शिवलिंग से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। अक्सर अघोरी इस शिवलिंग की पूजा करते हैं।
5. गुड़ शिवलिंग:- गुड़ और अन्न को मिलाकर बने इस शिवलिंग की पूजा करने से कृषि और अन्न उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
6. फल-फूल के शिवलिंग:- फूल से बने शिवलिंग की पूजा करने से भूमि-भवन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता हैं। वहीं, फल से बने शिवलिंग की पूजा करने से घर में अन्न-जल आदि में पूर्णता बनी रहती है।
7. स्वर्ण-रजत से बने शिवलिंग:- सोने और चांदी के धातु से बने शिवलिंग की पूजा करने से सुख-समृद्धि तथा धन-वैभव की प्राप्ति होती हैं।
8. बिबर मिटटी के शिवलिंग:- बिबर की मिटटी से बने शिवलिंग की पूजा करने से विषैले प्राणी जैसे सर्प-बिच्छू आदि के भय से मुक्ति मिलती हैं।
9. दही से बने शिवलिंग:- दही को कपड़े में बांध कर बनाया गए शिवलिंग की पूजा सुख-समृद्धि और धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए की जाती हैं।
10. लहसुनिया शिवलिंग:- लहसुनिया रत्न से बने शिवलिंग की पूजा से हमारे शत्रु पर विजयप्राप्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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