ज्यादातर लोग यही जानते है कि साल में दो नवरात्रि आती है जिनमें से एक है चैत्र नवरात्रि आैर दूसरी है शारदीय नवरात्रि। लेकिन क्या आप जानते है कि देवी की साधना के लिए पूरे साल में दो नहीं बल्कि चार नवरात्रि अाती है। जिनमें से अन्य दो काे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। जो कि क्रमशः आषाढ़ आैर माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनार्इ जाती है। ये दोनों नवरात्रि तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए गणेशजी से गुप्त नवरात्रि के बारे में अौर अधिक विस्तार से जानते हैः
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कथाः
पुराणों में लिखित कथा के अनुसार दैत्य राक्षस दुर्ग ने ब्रहमा को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके चारों वेद प्राप्त कर लिए। वेदों के नष्ट होने से देवता आैर ब्राहण अपने मार्ग से पथ भ्रष्ट हो गए अंत में ये मां दुर्गा की शरण में पहुंचे आैर दुर्ग राक्षस का संहार करने की प्रार्थना की। तभी मां के शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी, आैर मातंगी नामक दस महाविद्याएं प्रकट हुर्इ आैर दुर्ग राक्षस का संहार किया। तभी से गुप्त नवरात्रा मनाया जाने लगा।
दरअसल पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियां होती है जिनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्रा आते है। जबकि अन्य दो संधियों में नवरात्रि आषाढ़ आैर माघ की नवरात्रि आती है जिसे गुप्त नवरात्रा कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक क्रियाआें के अलावा शैव साधनाएं, श्मसान साधनाएं आैर महाकाल साधनाएं करते है। जिसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है साथ ही भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की भी साधना की जाती है। अपने जीवन के बारे में विस्तार से जानने के लिए आपके जीवन की विस्तृत भविष्यवाणी रिपोर्ट का लाभ उठाए।
गुप्त नवरात्रि की पूजा:
जहां तक पूजा की विधि का सवाल है गुप्त नवरात्रा की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करनी चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह-शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नाै दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।
खास बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्घस्त श्मसान में ही की जाती है। क्यूंकि इस तरह की साधना के दौरान जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार एेसे श्मसान घाट है जहां तंत्र क्रियाआें का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक आैर उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम शामिल है। कुंडली मिलाप रिपोर्ट से अपने और अपने साथी की अष्टकुट गुण मिलाप करवाएं और अपने बीच की अनुकूलता की जानकारी पाए। वो भी बिल्कुल फ्री।
इन बातों का रखें विशेष ध्यानः
नवरात्रि में मिटटी, पीतल, तांबा, चांदी या सोने का ही कलश स्थापित करें, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिल्कुल ना करें। नवरात्रा के दौरान ब्रहमचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त को जमीन पर सोना चाहिए आैर केवल फलाहार करें। नवरात्रि में क्रोध, मोह, लोभ जैसे दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए। अगर सूतक हो तो घट स्थापना ना करें आैर यदि नवरात्रा के बीच में सूतक हो जाए तो कोर्इ दोष नहीं होता। नवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नर्वाण मंत्र का अनुष्ठान भी करेंॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम
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