हिन्दु और बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इस वर्ष, 9 जुलार्इ 2017 को गुरु पूर्णिमा मनार्इ जाएगी। गुरु को ईश्वर के बाद उच्च स्थान दिया गया है। इसलिए शास्त्रो में कहा गया है कि,
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरु साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
इस मंत्र का मतलब है कि, हे गुरुदेव आप ब्रह्मा हैं, आप विष्णु हैं, आप ही शिव हैं। गुरु आप परमब्रह्म हो, हे गुरुदेव मैं आपको नमन करता हूँ।
अाषाढ़ माह में शुक्लपक्ष की पूनम का दिन गुरु पूर्णिमा का दिन है। गुरु का अर्थ समझें तो गुरु शब्द में (गु) का मतलब है अंधेरा, अज्ञानता और (रु) का मतलब है दूर करना। यानि जो हमारी अज्ञानता दूर करता है एवं जीवन में निराशा एवं अंधकार को दूर करे, वह गुरुदेव हैं।
हमारी संस्कृति एक अति महत्वपूर्ण पहलू गुरु-शिष्य परंपरा है। जिस समय बच्चों को पवित्र धागा पहना कर आश्रम भेजा जाता है, तब से ही उनकी जिंदगी बनाने का कार्य गुरु करते हैं। उसके लिए माता-पिता दोनो गुरु ही हैं, और जब वह अपना विद्याभ्यास खत्म करके जिंदगी की नयी शुरूआत करता है, तब आश्रम से अलविदा लेने से पहले शिष्य गुरु को अपनी शक्ति अनुसार गुरुदक्षिणा देते हैं। यह परंपरा जारी रख कर, हर साल गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का ऋण पूरा करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर व्यक्ति अपने गुरु को कुछ उपहार के तौर पर कुछ देता है, इसे गुरु-शिष्य परंपरा कहा जाता है।
संत कबीर ने गुरु के लिए कहा है कि,
गुरु गोबिन्द दोउ खडे काके लागूँ पाँय,
बलिहारी गुरु आपने गोबिन्द दियो बताय।
इसका मतलब यह है कि गुरु और ईश्वर दोनों साथ ही खड़े हैं इसलिए पहले किस के पैर छूने हैं ऐसी दुविधा आए तब पहले गुरु को वंदन करें क्युंकि उनकी वजह से ही ईश्वर के दर्शन हुए हैं। उनके बगैर ईश्वर तक पहुँचना असंभव है।
कबीरजी का एक दूसरा प्रचलित दोहा है,
कबीरा ते नर अंध है गुरु को कहते और
हरि रूठे गुरु ठौर है गुरु रूठे नही ठौर
यानि की अंधा है वह जो गुरु को नहीं समझ पाता। अगर ईश्वर नाराज़ हो जाए तो गुरु बचा सकता है, लेकिन अगर गुरु नाराज़ हो जाए तब कौन बचाएगा।
इस दिन क्या करना चाहिए –
१. जिसने अपने गुरु बनाए हैं वह गुरु के दर्शन करें।
२. हिन्दू शास्त्र में श्री आदि शंकराचार्य को जगतगुरु माना जाता है इसलिए उनकी पूजा करनी चाहिए।
३. गुरु के भी गुरु यानि गुरु दत्तात्रेय की पूजा करनी चाहिए एवं दत बावनी का पठन करना चाहिए।
ज्योतिष और कुंडली के आधार पर नीचे दी गयी स्थिति में गुरु यंत्र रखना चाहिए,एवं गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए-
१. आपकी कुंडली में गुरु नीचस्थ राशि में यानि की मकर राशि में है तो गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
२. गुरु-राहु, गुरु-केतु या गुरु-शनि युति में होने पर भी यह यंत्र लाभदायी है।
३. आपकी कुंडली में गुरु नीचस्थ स्थान में यानि कि ६, ८ या १२ वें स्थान में है तो आपको गुरु यंत्र रखना चाहिए एवं उसकी नियमित तौर पर पूजा करनी चाहिए।
४. कुंडली में गुरु वक्री या अस्त है तो गुरु अपना बल प्राप्त नहीं कर पाता, इसलिए आपको इस यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
५. जिनकी कुंडली में विद्याभ्यास,संतान,वित्त एवं दाम्पत्य जीवन सम्बंधित तकलीफ है तो उन्हें विद्वान ज्योतिष की सलाह लेकर गुरु का रत्न पुखराज कल्पित करना आवश्यक है।
६. इसके अलावा आपकी कुंडली में हो रहे हर तरह के वित्तीय दोष को दूर करने के लिए आप श्री यंत्र की पूजा करेंगे तो अधिक लाभ होगा।
सितंबर 2017 में होने वाला गुरु का गोचर आपके लिए कैसा रहेगा? आपकी जन्म कुंडली का व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी से सीधी बात करें या गुरु/ बृहस्पति पारगमन रिपोर्ट का लाभ उठाए।
इस तरह गुरु की पूजा आपको सही मार्ग बताकर जिंदगी सरल बनाने में मदद करती है।
गणेशजी के आशीर्वाद के साथ,
धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम