सनातन धर्म में चंद्रमा की गति और उसके राशियों में गोचर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। चंद्रमा की कलाओं के माध्यम से ही चंद्र मास में तिथि और त्योहारों का निर्धारण होता है। एक चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष के दौरान चंद्रमा लगातार दिन पर दिन बढ़ते जाते हैं और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा पर अपने पूरे स्वरूप में होते हैं। वहीं कृष्ण पक्ष के दौरान चंद्रमा घटते क्रम में आगे बढ़ते है और धीरे – धीरे अमावस्या की ओर आगे बढ़ते हैं। कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। अमावस्या के दिन दान पुण्य और स्नान ध्यान का अपना ही महत्व है, लेकिन यह महत्व तब और बढ़ जाता है जब अमावस्या के साथ कोई विशेष तिथि या मान्यता जुड़ जाए। एक साल में आने वाली अमावस्याओं में सोमवती अमावस्या के साथ ही एक ऐसी ही अमावस्या मौनी अमावस्या भी है, जिसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। जिस मौनी अमावस्या क्या है? मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2024) का महत्व और साल 2024 में मौनी अमावस्या कब है जैसे सभी सवालों के जानिए यहां-
2024 मौनी अमावस्या कब है (Mauni amavasya 2024)
माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। साल 2024 में मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2024) 9 फरवरी के दिन आने वाली है। हिंदु धर्मावलंबियों के लिए मौनी अमावस्या आस्था, व्रत, दान-पुण्य और धर्म के काम करने का दिन होता है।
मौनी अमावस्या 2024 तिथि (Mauni amavasya 2024 date)
मौनी अमावस्या तिथि प्रारंभ – 9 फरवरी 2024, शुक्रवार, 08:02 ए एम
मौनी अमावस्या तिथि समाप्त – 10 फरवरी 2024, शनिवार, 04:28 ए एम
मौनी अमावस्या क्यों मनाई जाती है
मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2024) के पीछे धार्मिक और सामाजिक दोनों ही तरह की मान्यताएं देखने को मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन देवगण सपरिवार पवित्र संगम में निवास करते हैं, यही वजह है कि इस दिन आपको गंगा सहित सभी महत्वपूर्ण नदियों पर भक्तों और धर्म प्रेमी बंधुओं की बड़ी बड़ी कतारें देखने को मिलेंगी। कई जगहों पर अमावस्या पर पितृ दोष निवारण पूजा भी करवाई जाती है। यदि कुंडली में पितृ दोष होता है, तो व्यवसाय, संतान और जीवनसाथी के साथ सामंजस्य में बेहद दिक्कत आती है।
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मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2024) के व्यक्ति को सुबह की पहली किरण के साथ किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। कुछ अन्य पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रयास करता है, और पूरे दिन या कम या अधिक समय के लिए मौन व्रत धारण करते हैं। इस बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि मुंह से जाप करने से कई गुणा अधिक पुण्य मौन रहकर जाप करने से मिलता है। मौनी अमावस्या पर पूरे दिन मौन धारण करने का महत्व माना गया है। हालांकि आज की नई जनरेशन के लिए ऐसा करना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए दान-स्नान से सवा घंटे पहले भी यदि मौन धारण कर लिया जाए तो इससे दान का फल कई गुना प्राप्त होता है। कुछ विद्वान पंडितों का मत है कि यदि इस दिन व्यक्ति पूरे नियम कायदे से मौन व्रत का पालन करते हुए भगवान शिव और विष्णु की आराधना करता है तो उसके सभी दुष्कर्मों का अंत हो जाता है।
मौनी अमावस्या क्या दान करें
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या (Mauni amavasya ) के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने पर पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन धार्मिक महत्व अधिक है, मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद अपने पितरों के नाम से जल छोड़ने और दान करने से पितृों को शांति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को धन, वस्त्र, गाय, जमीन, सोना, अन्न, तिल और अन्य प्रकार की प्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिए।
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मौनी अमावस्या 2024 (Mauni amavasya 2024) का ज्योतिष महत्व
भारतीय संस्कृति में आने वाले तीज और त्योहारों का ज्योतिष से गहरा नाता होता है। मौनी अमावस्या (Mauni amavasya ) का महत्व भी धर्म के साथ ही ज्योतिष से भी जुड़ा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब माघ के महीने में चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ एकत्र होते हैं, तब मौनी अमावस्या मनाई जाती है। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव के कारण इस दिन का महत्व अधिक हो जाती है। मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और सूर्य कुंडली के दसवें भाव में बलवान होते हैं। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना गया है, इसलिए मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यही कारण है कि इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना लाभ दानकर्ता को प्राप्त होता है। इस साल यानी 2024 में मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2024) मकर राशि में सूर्य, चंद्र के साथ शनि पहले से ही मौजूद है। शनि और सूर्य ज्योतिष में एक-दूसरे के विपरित ग्रह माने जाते हैं। वहीं चंद्र और शनि विष दोष बनाते हैं। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति जीवनभर नकारात्मक गतिविधियों में उलझा रहता है।
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गणेशास्पीक्स डॉट कॉम/हिंदी