भविष्यवाणियों 2023 सावन शिवरात्रि तारीख, मुहूर्त, तिथि और महत्व

2023 सावन शिवरात्रि तारीख, मुहूर्त, तिथि और महत्व

2023 सावन शिवरात्रि तारीख, मुहूर्त, तिथि और महत्व

सावन शिवरात्रि 2023

जब पूरा सावन माह भोलेनाथ को है प्रिय तो सावन शिवरात्रि के क्या कहने
वैसे तो हर माह पूर्णिमा से एक दिन पहले शिवरात्रि आती है, लेकिन दो शिवरात्रियों का काफी महत्व है। इनमें से प्रमुख है फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि और दूसरी सावन माह की शिवरात्रि। भगवान शंकर औघड़दानी हैं और पूजन से वे तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु उपवास कर शिवलिंग की पूजा करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की गुहार लगाते हैं। इस साल वर्ष 2023 में सावन शिवरात्रि व्रत 15 जुलाई को मनाया जाएगा।

सावन शिवरात्रि 2023
15 जुलाई, शनिवार

पूजा मुहूर्त
निशित काल पूजा का समय – 12:05 ए एम से 12:51 ए एम, जुलाई 16 (अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स)

16वाँ जुलाई को, शिवरात्रि पारण समय – 06:11 ए एम से 03:37 पी एम

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 15, 2023 को 08:32 पी एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – जुलाई 16, 2023 को 10:08 पी एम बजे

सावन शिवरात्रि का है खास महत्व
सावन माह भगवान शंकर को काफी प्रिय है और इस कारण इस पूरे माह भोलेनाथ की पूजा होती है। ऐसे में इस माह की शिवरात्रि का क्या महत्व है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रहकर भोलेनाथ की की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं। श्रद्धालु हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, काशी विश्वनाथ, सुल्तानगंज आदि से पवित्र गंगा जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

कांवड़ में जल लेकर जाते हैं श्रद्धालु
सावन माह में भक्त कांवड़ लेकर भी भोलेनाथ की पूजा के लिए जाते हैं। कांवड़ में जल लेकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा काफी पुरानी है और कई जगहों पर श्रद्धालु कांवड़ में जल लेकर जाते हैं, लेकिन झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथधाम का काफी महत्व है। यहां देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु भोलेनाथ के पूजन और उन्हें जल अर्पित करने के लिए आते हैं।

शिवपूजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री
शिवपूजन में शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, गुलाब जल, धतुरे के फूल, भांग आदि का उपयोग होता है।

शिव पूजन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
– काले कपड़े पहन कर कभी भी शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
– शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद हर मंदिर में उसके बाहर आने की व्यवस्था होती है, उस जल को लांघने से बचना चाहिए।
– शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए।
– शिवलिंग पर सिंदूर, तिल और हल्दी भी नहीं चढ़ानी चाहिए।
– इस दौरान ना तो मुंह से कोई गलत बात निकालें और ना ही अपनी सोच को अपवित्र होने दें।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

Exit mobile version