भविष्यवाणियों यूपी चुनाव: हैरान मत हो यदि अखिलेश के हाथ से सत्ता छिन जाए !

यूपी चुनाव: हैरान मत हो यदि अखिलेश के हाथ से सत्ता छिन जाए !

यूपी चुनाव: हैरान मत हो यदि अखिलेश के हाथ से सत्ता छिन  जाए !

आगामी महीने सपा सुप्रीमो अखिलेश के लिए काफी अशांतिपूर्ण रहेंगे। पर, सितारे यह संकेत कर रहे हैं कि वर्ष 2023 के बाद ये प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते ।

पिछले कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश के सियासी परिदृश्य में काफी सरगर्मियां चल रही है। सबका ध्यान जैसे समाजवादी पार्टी और अखिलेष यादव पर ही केंद्रित हो गया लगता है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि राजनैतिक परिवेश में इस बदलाव की वजह से भारत के इस महत्वपूर्ण राज्य में अखिलेश का सत्ता पक्ष भी इससे हाशिये पर आ सकता है। वहीं कुछ का यह भी मानना है कि अखिलेश का शासन बरकरार रहेगा। लेकिन, गणेशजी की भविष्यवाणी हैं कि ग्रहीय हलचलों से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए प्रतिकूल हालात पैदा हो सकते हैं और सत्ता सुख उनके हाथ से छिन जाने का खतरा मंडरा सकता है। विस्तार से जानकारी हेतु कृपया यह ब्लॉग पढ़ें।

अखिलेश यादव
जन्म तिथि: 1 जुलाई, 1973
जन्म समय: 12 PM (अपुष्ट)जन्म स्थान: सैफई, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत

अखिलेश यादव की जन्म कुंडली
अखिलेश यादव की जन्म कुंडली

कुंडली का प्रमुख आकर्षण
यूपी के सीएम अखिलेश यादव कन्या लग्न राशि में पैदा हुए हैं। कन्या राशि का स्वामी बुध एकादश भाव में शुक्र के साथ विराजमान है। बुध के शुक्र के साथ होने से अखिलेश बुद्धिमान, बहुमुखी और सहज हैं। प्रमुख ग्रहों का मेल इनको एक एेसा करिश्माई नेता बनाता है जो मतदाताओं के साथ आसानी से कनेक्ट होने में सक्षम है। इनका अपने विचारों के प्रति दृढ़ विश्वास और अंतर्ज्ञान आम तौर पर महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय में समय-समय पर मार्गदर्शन देता रहता है। यही कारण है कि ये विरोधी विचारों के खिलाफ लौह स्तंभ की भाति अडिग रहते हैं।

कौन से ग्रह यूपी की राजनीति में इन्हें प्रभावशाली बना रहे हैं?
दसवें भाव का स्वामी बुध एकादश भाव के स्वामी चंद्र के साथ परिवर्तन की स्थिति में है। ग्रहों का एक दूसरे की राशि में होना इन्हें एक बहुत ही कुशल और चतुर रणनीतिकार बनाता है। समाज के विभिन्न वर्गों से समर्थन भी इन्हें इसी अनुकूल ग्रहीय विन्यास की बदौलत प्राप्त हो रहा है। प्रभावशाली राजनीतिक संपर्कों की स्थापना में भी इनके ग्रह सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

दिग्गज ग्रहों सहित चार ग्रहों की दशम स्थान पर स्थितियां इनकी कर्तव्य भावना, इच्छा शक्ति और पार्टी को प्रभावी ढंग से नियंत्रण और संगठित करने की क्षमता प्रदान करती है। मंगल की दृष्टि दशम स्थान पर पड़ रही है जिससे इनका स्वभाव कुछ हठी हो जाता है। काफी सोच-विचारकर लोगों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं।

उम्मीदों के अनुसार परिणाम का नहीं मिलना
किसी भी जातक की जन्मकुंडली में ग्रहों का इतने शक्तिशाली ढंग से जुड़ना उसके एक महत्वाकांक्षी नेता होने की भविष्यवाणी की घोषणा करता है। नतीजतन, हमारे सामने एक एेसा नेता सामने आता है जो भीड़े का नेतृत्व करने का सामर्थ्य रखता है।

हालांकि, दसवें भाव में दूषित प्रमुख ग्रहों, शनि की स्थिति और केतु के साथ-साथ होने से इनके कार्य दुष्कर हो जाते हैं। परिणास्वरूप, ये जो भी काम हाथ में लेते हैं, उनकी गति अप्रत्याशित रूप से धीमी पड़ जाती है और निर्धारित लक्ष्य से कम इन्हें हासिल हो पाता है।

पिता के साथ विवाद और सत्ता संघर्ष
यहां ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि दसवें भाव में इन चार ग्रहों का मेल राजनैतिक दृष्टि से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से भारी प्रतिरोध का संकेत दे रहा है। इसी स्थान को पिता का भी स्थान कहा जाने से इनको ग्रहों के अनिष्टाकारी प्रभाव के कारण पिता की ओर से भी विरोधों का सामना करना पड़ रहा है।

वर्तमान परिदृश्य:
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश बुध की महादशा के प्रभाव में चल रहे हैं। यह बलशाली बुध का ही प्रताप है जिसकी वजह से आज अखिलेश यूपी के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन, चल रही शनि भुक्ति की दशा इनके लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है। चूंकि, गोचर का गुरू लग्न से होकर गुजर रहा है, इसलिए इससे इनको और अधिक शोहरत और ताकत मिलेगी। मौजूदा विवादों से भी लाभान्वित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहेंगे। वहीं दूसरी तरफ पार्टी की अंदरूनी खींचतान और दलबदल इनके लिए नित नई-नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

क्या ये यूपी के निर्वाचन को आसानी से पार कर पाएंगे?
इनकी मजबूत कप्तानी में विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की संभावनाओं को काफी बल मिलेगा। हालांकि, मौजूदा ग्रहों के प्रभाव किसी भारी जीत या ज़बरदस्त सफलता का संकेत नहीं दे रहे। पहले की तरह अपना दबदबा बनाए नहीं रख पाने के कारण मुख्यमंत्री पद पर बने रहने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रधानमंत्री के रूप में- अखिलेश?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के बाद इनके ऊपर चलने जा रही आगामी केतु महादशा भी कड़े प्रतिरोध और राजनीतिक जीवन में चुनौतियों की ओर इशारा कर रही है। हालांकि, इनका चार्ट यह दर्शा रहा है कि सीएम अखिलेश यादव यूपी राजनीति में निश्चित रूप से अर्जुन की तरह अपनी छाप छोड़ने में सफल रहेंगे। भारत की राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष के एक प्रमुख नेता के रूप में जाने जाएंगे। यदि सभी स्थितियां इनके पक्ष में गयी तो साल 2023 के बाद ये एक-न-एक दिन पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में या फिर भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
तन्मय के ठाकर
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम

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