क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी शिवसेना का प्रभुत्व एवं प्रभाव उसके उदय क्षेत्र अर्थात मुंबई में खत्म होता नजर आ रहा है। पार्टी नेतृत्व की तरफ से पार्टी संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में मजबूत राजनीतिक संगठन बनकर उभरे शिवसेना को एक बार फिर से शक्तिशाली संगठन बनाने के लिए उनके युवा पोते आदित्य ठाकरे को तरुप के पत्ते की भांति खेलने का प्रयास जारी है। आदित्य ठाकरे के पिता उद्घव ठाकरे को बाला साहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद दक्षिणपंथी पार्टी की बागडोर सौंपी गई थी, लेकिन उद्घव ठाकरे अपने पिता जैसा रसूख बनाए रखने में विफल हुए। एक समय शिवसेना बाला साहेब ठाकरे के नेतृत्व में देश की राष्ट्रीय पार्टियों को बैक सीट पर बैठकर महाराष्ट्र में सत्ता चलाने देती थी। देश की आर्थिक राजधानी में शिवसेना का सिक्का चलता था। मगर अब स्थितियां वैसी नहीं, जैसी बालासाहेब ठाकरे के समय हुआ करती थी। अब विपरीत तस्वीर है, पहले बीजेपी झुकती थी, अब शिवसेना झुकती है।
महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों के बंटवारे को लेकर शिवसेना की शर्त नहीं मानी एवं चुनावों से पहले दोनों ने राज्य में अपना गठबंधन तोड़ दिया। उद्घव ठाकरे को उम्मीद थी कि शिवसेना को महाराष्ट्र की जनता किसी राष्ट्रीय पार्टी से अधिक महत्व देगी, लेकिन शिवसेना की उम्मीद अनुसार नतीजे नहीं आए।
भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रही शिवसेना का नेतृत्व अंत तक दुविधा में था कि उसका फैसला सही है या गलत। इसके कारण मीडिया में शिवसेना प्रमुख की आलोचना भी हुई कि वो स्वयं निर्णय लेने की बजाय कुछ लोगों पर निर्भर हैं। समय के साथ साथ शिवसेना अपने हर फैसले से पलटती नजर आई। निरंतर रसतल में जा रही शिवसेना के लिए युवा नेता आदित्य ठाकरे एक उम्मीद बनकर उभरे हैं। अब पार्टी के अधिक कार्यकर्ता सोचते हैं कि बालासाहेब की तरह यदि कोई पार्टी को मजबूत बना सकता है तो 24 वर्षीय युवा नेता आदित्य ठाकरे।
अब सवाल यह उठता है कि जो कार्य उद्घव ठाकरे नहीं कर पाए, क्या वो कार्य उनका पुत्र आदित्य ठाकरे कर पाएगा – क्या आदित्य ठाकरे में नेतृत्व करने की क्षमता है – इस तरह के अन्य सवालों के जवाब जानने के लिए गणेशास्पीक्स के ज्योतिषविद श्री तन्मय के. ठाकर ने आदित्य ठाकरे की सूर्य कुंडली का अध्ययन किया।
सूर्य कुंडली
जन्म ग्रह और उनके उपहार
सशक्त नेता ?
आदित्य ठाकरे का सूर्य, जोकि उसका आत्मकारक ग्रह है, उसकी कुंडली में मंगल के नक्षत्र में स्थित है। यह ग्रहीय स्थिति संकेत दे रही है कि आदित्य का जन्म महान नेतृत्व के गुण के साथ हुआ है एवं उसके भीतर भीड़ को आकर्षित करने की क्षमता है।
उसकी जन्म पत्रिका में, उसकी नवमंश कुंडली में मंगल शुक्र एवं शनि स्वगृही हैं, जो मजबूत राज्ययोग को प्रदर्शित करते हैं। इस योग के कारण व्यक्ति को नाम, प्रसिद्घि एवं सफलता मिलती है। उसकी जन्म पत्री में जन्म का तेजस्वी शनि उसको राजनेता बनने के लिए उत्सुक करेगा। आदित्य की व्यक्तिगत कुंडली में शनि शाशा महापुरुष योग बना रहा है एवं वर्गोत्तम स्थिति कुंडली को बहुत मजबूत बना रही है। ग्रहों से मिल रहे संकेतों के अनुसार आदित्य को मजबूत व्यक्तित्व एवं नेतृत्व गुण जन्मजात मिले हैं। इसके अलावा, उसके जन्म के चंद्रमा से चौथे भाव में मजबूत शुक्र आदित्य को करिश्माई नेता बनाता है।
पारगमन करते ग्रह
वर्तमान में, आदित्य की कुंडली में पारगमन करता शनि जन्म के सूर्य पर दृष्टि डाल रहा है। आदित्य ठाकरे इस समय एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं एवं उनके राजनीतिक करियर के लिए निर्णायक चरण है। हालांकि, ग्रहीय स्थितियों के प्रभाव के कारण आदित्य ठाकरे चीजों को आसानी से आगे नहीं बढ़ा पाएंगे। उन पर अपेक्षाओं का अधिक दबाव रह सकता है। लेकिन जून 2015 के बाद से गुरू का पारगमन उनके लिए काफी अनुकूल रहने की संभावना है। उपरोक्त समय के बाद आदित्य बहुत आत्मविश्वास के साथ अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए आगे बढ़ेंगे। अप्रैल 2017 के आस पास आदित्य ठाकरे एक सशक्त नेता के रूप में उभरकर सामने आएंगे। महाराष्ट्र के प्रभावशाली नेता आदित्य ठाकरे को एक अच्छा नेता बनने मदद करेंगे।
संक्षेप में
आदित्य ठाकरे की सूर्य कुंडली के ग्रहों के अनुसार आदित्य ठाकरे के भीतर शिवसेना के भव्य विरासत को आगे बढ़ाने की क्षमता है। उसकी जन्म पत्रिका के अनुसार, आदित्य अभी कुछ मामलों में उग्र रुख दिखाएगा। इसके अलावा उद्घव ठाकरे की तुलना में आदित्य ठाकरे अधिक धर्मनिरपेक्ष एवं प्रगतिशील नेता साबित होंगे। आदित्य ठाकरे शिव सेना के महत्वपूर्ण पद की गरिमा को बनाए रखने में सक्षम होंगे।
हम उसके दीप्तिमय भविष्य की कामना करते हैं।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
तन्मय के ठाकर
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम