12 तारीख, 12वां महीना और साल हैं 2019. ये वो दिन है जब भारतीय संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को मंजूरी दे दी गयी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रपत्र पर हस्ताक्षर कर इसे कानून में बदल दिया। अब ये नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के नाम से जाना जाता है। अब बात करें इसको लाने के मुख्य उद्देश्य की, तो सरकार की इसको लाने के पीछे की मंशा थी कि वे अल्पसंख्यक लोग जो भारत के पड़ोसी देशों से आकर भारत में शरण लेकर रह रहे हैं। लेकिन उनके पास भारत की वैध नागरिकता नहीं है। भारत सरकार ने उन्हें भारत की स्थाई नागरिकता प्रदान करने के लिए इस अधिनियम को पारित करवाया है। इस अधिनियम के तहत अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को शरण देना है। जिनमें प्रमुख हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, फारसी और ईसाई धर्म के लोग हैं, जिन्हें प्रस्तावित कानून नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के माध्यम से भारतीय नागरिकता दे कर स्थाई निवास दिया जा सके। नहीं अन्य तो शरणार्थियों और खानाबदोशों की तरह वे भी दर दर भटकते रहेंगे।
लेकिन इसी बात पर देश में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। क्योंकि सरकार ने इसमें दो सीमाएं तय की हैं। पहली ये कि सिर्फ ऐसे शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी जो ग़ैर मुसलमान अल्पसंख्यक हैं। यानि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, फारसी और ईसाई धर्म के लोग हैं, और 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान आदि पड़ोसी देशों से भारत में आकर रह रहे हैं। दूसरा ये की नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत ऐसे लोगों को नागरिकता नहीं दी जाएगी जो मुसलमान हैं और बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान से आये हैं। क्योंकि वे देश तो पहले से ही मुस्लिम बाहुल्य देश हैं, ऐसे में उन्हें कम से कम उन्हीं के देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में तो अल्पसंख्यक नहीं कहा जायेगा। ऐसे में उनको नागरिकता प्रदान नहीं करने की एक तरह से सही भी है।
लेकिन विरोध इस बात को लेकर नहीं हो रहा। दरअसल विरोध किसी और बात पर ही हो रहा है। जिसे हम राजनीतिक पहलू कहेंगे तो अधिक बेहतर रहेगा। क्योंकि विरोध जताने वाले लोगों को तो ये भी नहीं पता कि आखिर वे विरोध कर किस लिए रहे हैं। जिसका फायदा चंद राजनीतिक और स्वार्थी लोग उठा रहे हैं, और एक बड़े जन समुदाय को ये कह कर भड़काया जा रहा है कि सरकार उन्हें भी देश से निकालने की तैयारी कर रही है। जबकि ये सरासर ग़लत है।
बहरहाल हम यहाँ बात करने वाले हैं कि आखिर ऐसे क्या कारण हैं जो भारत के लोग ही भारत के इस कानून के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) सामाजिक वातावरण को आने वाले समय में किस प्रकार प्रभावित करेगा। ये सब जानने के लिए गणेशास्पीक्स के अनुभवी ज्योतिषी विशेषज्ञों ने आज़ाद भारत की कुंडली और जिस दिन नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पारित किया गया। उस दिन की कुंडली के आधार पर ज्योतिषीय विश्लेषण करने की कोशिश की है।
स्वतंत्र भारत की कुंडली
तारीख़ – 15/08/1947
कुंडली जब राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर
तारीख़ – 12/12/2019
सूर्य कुंडली:
नागरिकता संशोधन बिल का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
घटना की कुंडली में ग्रहों समूह दूसरे भाव से होकर गुज़र रहा है। जबकि आज़ाद भारत की कुंडली में वृष राशि, लग्न में उदय हो रही है। तथा वर्तमान में ग्रहों का समूह 8 वें घर से गुज़र रहा है। कुंडली के अनुसार शनि सबसे शुभ ग्रह है, जो 23 जनवरी 2020 को अपनी राशि बदलने जा रहा है। जिससे भाग्य और सफलता में वृद्धि होगी। जबकि वित्त की के संकेतक बृहस्पति वित्त के दूसरे घर पर दृष्टि डालेंगे। इसके अलावा भारत की कुंडली में वर्तमान में चंद्रमा की प्रमुख अवधि और शनि की उप अवधि चल रही है। जबकि सबसे शुभ ग्रह शनि तीसरे भाव में स्थित है। इसके अलावा, महादशा के स्वामी चंद्रमा तीसरे घर में स्थित है। इन सभी ग्रहों के संयोजन से संकेत मिलता है कि नागरिकता संशोधन विधेयक का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
क्या नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद भारत प्रगति कर पाएगा?
त्रिपुरा राज्य और असम की बराक घाटी जैसे कुछ बंगाली भाषी समुदाय क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन विधेयक को मजबूत समर्थन मिल रहा है। ये सिलहट के विभाजन वाले भौगोलिक रूप सीधे प्रभावित लोगों की बड़ी संख्या वाले क्षेत्र हैं, जिनमें कई हिंदू भी शामिल हैं जो वर्तमान कानून के तहत अनाधिकृत अप्रवासी हैं। असम में, 31 दिसंबर, 2014 से पहले आने वाले बांग्लादेश के अनाधिकृत हिंदू अप्रवासियों को अब अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और वे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे। लेकिन अभी के लिए धनु राशि में गोचर करने वाले ग्रहों के समूह के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई है। वर्तमान भ्रम और चिंता धनु राशि में गोचर करने वाले ग्रहों के समूह के कारण है। हालाँकि,फरवरी 2020 के बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगेगी और नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद भारत प्रगति कर सकेगा।
यह विधेयक भारत की सामाजिक परिस्थितियों को कैसे प्रभावित करेगा?
भारत के कई हिस्सों विशेषकर असम में नागरिकता संशोधन विधेयक का लोग विरोध कर रहे हैं। ग्रहों का समूह भारत की कुंडली में 8 वें घर और नागरिकता संशोधन विधेयक की कुंडली में दूसरे घर से गुजरने के कारण वर्तमान विरोध कुछ और समय तक मजबूती से बना रह सकता हैं। लेकिन जब 23 जनवरी 2020 से शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में परागमन करना शुरू कर देंगे। तब देश की सामाजिक सामाजिक गतिशीलता में सुधार शुरू हो जाएगा। आने वाले समय में भारत की सामाजिक स्थिति बेहतर होगी।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम